
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने जा रहे भावी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके कैबिनेट के सदस्य ऐतिहासिक रामलीला मैदान में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगे। इससे पहले आंध्र प्रदेश में एनटी रामाराव, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह, गुजरात में नरेंद्र मोदी और बिहार में नीतीश कुमार आदि भी राजभवन के स्थान पर जनता की भारी उपस्थिति में अपने-अपने राज्यों के मैदानों में शपथ ले चुके हैं।
वर्ष 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने भी राजघाट पर शपथ ली थी। वैसे, आमतौर पर प्रदेशों में राज्य सरकारों का शपथ ग्रहण समारोह राजभवन में, तथा केंद्र सरकार का राष्ट्रपति भवन में होता है। हालांकि ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जिनमें कुछ मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्रियों के आग्रह पर लीक से हटकर शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किए गए।
आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी के एनटी रामाराव और कांग्रेस के वाईएस राजशेखर रेड्डी ने हैदराबाद के मशहूर लालबहादुर शास्त्री स्टेडियम में शपथ ली थी। इसी तरह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह एवं उनके मंत्रिमंडल ने पुलिस परेड ग्राउंड में शपथ ली थी तथा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल स्टेडियम, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ ग्रहण की थी।
इसी तरह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता एवं उनके मंत्रिमंडल ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंटिनरी हॉल और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जम्बूरी ग्राउंड, भोपाल में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी।
अब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने रामलीला मैदान में सरकार के शपथ ग्रहण का कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय किया है। यहीं से अन्ना हजारे ने जनलोकपाल आंदोलन को देश-दुनिया के समक्ष जोरदार ढंग से आगे बढ़ाया था। उस समय अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम भी इसी आंदोलन का हिस्सा थी। 'आप' ने अपनी सरकार के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के लिए पहली प्राथमिकता जंतर मंतर को बताया था। दिल्ली विधानसभा चुनाव के 8 दिसंबर, 2013 को घोषित नतीजों में 'आप' को 28 सीटें मिली हैं और सत्ता गंवाकर केवल आठ सीटों पर सिमटकर रह गई कांग्रेस पार्टी उन्हें बाहर से समर्थन दे रही है। वैसे, राज्य विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है।
विभिन्न विचारधाराओं एवं पृष्ठभूमि वाले दलों के संयोग से वर्ष 1977 में गठित जनता पार्टी ने पहली बार देश के पैमाने पर जनता के समक्ष कांग्रेस का विकल्प प्रस्तुत किया था, जिसमें उसे भारी समर्थन भी मिला था। जनता पार्टी के मार्गदर्शक जयप्रकाश नारायण के सुझाव पर तब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने राजघाट पर शपथ ली थी। केंद्र सरकार का शपथ ग्रहण समारोह आमतौर पर राष्ट्रपति भवन के अशोक हाल में होता है, लेकिन वर्ष 1991 में चंद्रशेखर ने और उसके बाद वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने भी राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ लेने का आग्रह किया था।
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