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This Article is From Nov 18, 2015

असीमित जिम्मेदारी : खतरा जानकर भी आर्मी के अफसर क्यों नहीं करते अपनी जान की परवाह

असीमित जिम्मेदारी : खतरा जानकर भी आर्मी के अफसर क्यों नहीं करते अपनी जान की परवाह
कर्नल संतोष महादिक को श्रद्धांजलि देते सेना के अफसर
नई दिल्ली: कश्मीर में मंगलवार को शहीद हुए भारतीय सेना के अफसर 38-वर्षीय कर्नल संतोष महादिक के लिए क्या आतंकियों के खिलाफ अभियान के दौरान खुद अग्रिम मोर्चे पर डटे रहना जरूरी था?

हां, बिना किसी शक के। यह संदेश है नॉर्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा का। एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में हुडा ने साफ तौर पर कहा, 'भारतीय सेना का चरित्र और इसकी संस्कृति- ये कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें कभी-कभी सही तरह से नहीं समझा जाता। हमारी एक असीमित जिम्मेदारी होती है। एक आदमी लड़ाई में जाता है, एक आदमी आतंकियों से मुकाबला करता है और वो कभी-कभी उनसे उस स्थिति में मुकाबला करता है, जहां यह तय होता है कि वह अपनी जान भी गंवा सकता है।'

महादिक ने जिस तरह के अदम्य साहस का परिचय दिया, उसे लेकर उन्हें कभी पछतावा नहीं होता। सेना के इलीट 21 स्पेशल फोर्सेज के एक अफसर कर्नल एसएस शेखावत कहते हैं, 'यह बहुत बड़ी क्षति है, लेकिन वह अपने अंदाज में गए। उनके सीने में लगी गोली से हम प्रेरणा लेते हैं। एक सैनिक के लिए दुनिया से जाने का यह तरीका है। और एक सैनिक के लिए नेतृत्व करने का यही तरीका है, बिल्कुल फ्रंट से...'
 
(कर्नल संतोष महादिक (दाएं से दूसरे) निशानेबाजी का अभ्यास करते हुए)

कर्नल संतोष महादिक कुपवाड़ा के मानीगढ़ के जंगलों में छिपे आतंकवादियों के सफाये के लिए 13 नवंबर को शुरू किए गए एक अभियान के तहत छापेमारी कर रहे थे। वह सर्च पार्टी की अगुवाई कर रहे थे, तभी आतंकियों ने भारी मशीनगन से उन पर गोलियां बरसा दीं। महादिक निश्चित रूप से दुर्भाग्यशाली थे। गोली उनके गले में लगी, शरीर का यह हिस्सा बुलेटप्रूफ से नहीं ढंका था। आतंकियों के खात्मे के लिए अभियान अभी भी जारी है।

उनके करीबियों के मुताबिक महादिक उनके लिए हमेशा साथ खड़े रहे। इंडियन मिलिट्री एकेडमी में साथ रहे महादिक के पुराने दोस्त कर्नल सुमि‍त दुआ कहते हैं, वह एकेडमी में आने वाले सबसे तत्पर अफसर थे। वह शारीरिक रूप से सबसे फिट, सबसे मजबूत और सबसे धैर्यवान थे। उनमें अपने साथियों ही नहीं, बल्कि अधीनस्थों की मदद करने की प्रवृत्ति थी।

कर्नल संतोष महादिक को श्रीनगर में सेना ने अंतिम विदाई दी। वह अपने पीछे पत्नी, 11 साल की बेटी और पांच साल के बेटे को छोड़ गए हैं।

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