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This Article is From Oct 29, 2018

सेना पर हमले स्नाइपर की ओर से किए गए या नहीं, हम कर रहे हैं जांच : बिपिन रावत

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि सेना उन खबरों को देख रही है जिनमें कहा गया है कि रक्षाकर्मियों पर हमला करने के उद्देश्य से स्नाइपर कश्मीर घाटी में प्रवेश कर रहे हैं.

सेना पर हमले स्नाइपर की ओर से किए गए या नहीं, हम कर रहे हैं जांच : बिपिन रावत
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (फाइल फोटो).
नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि सेना उन खबरों को देख रही है जिनमें कहा गया है कि रक्षाकर्मियों पर हमला करने के उद्देश्य से स्नाइपर कश्मीर घाटी में प्रवेश कर रहे हैं. सितंबर के मध्य से जैश-ए- मोहम्मद के आतंकियों के स्नाइपर हमलों में तीन रक्षा कर्मियों की मौत हो चुकी है. इसके बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों को पाकिस्तान के समूहों के ऐसे हमलों को रोकने के लिए अपनी रणनीति नए सिरे से तैयार करनी होगी. हमलों के पैटर्न के बारे में सेना प्रमुख ने कहा कि सुरक्षा बल इस बारे में अध्ययन कर रहे हैं कि हमले स्नाइपर की ओर से ही किए गए हैं या नहीं. 

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यहां एक कार्यक्रम से इतर रावत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ये हमले स्नाइपर ने किए हैं या नहीं, यह हम अभी भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.''उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह कहना कि स्नाइपर घुसपैठ कर चुके हैं और उनके पास स्नाइपर हथियार हैं. हमें कोई स्नाइपर हथियार नहीं मिला है.''रावत ने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि स्नाइपर घाटी में आ चुके हैं. खुफिया जानकारियों के आधार पर सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कम से कम दो अलग-अलग समूह सितंबर माह की शुरुआत में कश्मीर में प्रवेश कर चुके हैं. प्रत्येक समूह में दो-दो आतंकी हैं. माना जा रहा है कि इन आतंकियों ने संगठन के कुछ समर्थकों की मदद से दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले को अपना ठिकाना बनाया है. 

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अधिकारियों के मुताबिक, घाटी में स्नाइपर हमले करने के लिए इन आतंकियों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने गहन प्रशिक्षण दिया है और इनके पास एम-4 कार्बाइन भी है जिसका इस्तेमाल अमेरिकी नेतृत्व वाले बल अफगानिस्तान में करते हैं. रावत का कहना है कि सुरक्षा बलों पर हाल में हुए हमलों में सामान्य हथियारों का इस्तेमाल हुआ हो सकता है क्योंकि अच्छी राइफल की रेंज 200 से 300 मीटर होती है. उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि टिप्पणी तभी करनी चाहिए जब आपके पास ठोस सबूत हों.''

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