श्रीनगर:
वर्ष 2001 में संसद भवन पर हुए आतंकवादी हमले के मास्टरमाइन्ड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की सूचना सरकार ने उसके कश्मीर के सोपोर में बसे परिवार को स्पीडपोस्ट के जरिये भेजी थी, लेकिन वह खत उसके परिजनों को फांसी दे दिए जाने के दो दिन बाद सोमवार को मिला। इस मामले में आलोचनाओं का सामना कर रही सरकार की ओर से केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि उन्होंने अफजल गुरु के परिवार को 7 फरवरी की रात को ही खत भेजकर सूचित कर दिया था, जबकि फांसी 9 फरवरी को दी गई थी।
शिंदे ने कहा कि अफजल गुरु के परिजनों को खत भेजे जाने के अलावा उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी खुद फोन करके 8 फरवरी को फांसी के कार्यक्रम की सूचना दी थी। उन्होंने कहा कि अजमल आमिर कसाब और अफजल गुरु के मामले काफी संवेदनशील थे, इसलिए सरकार ने गोपनीयता बरती।
उन्होंने कहा कि यह मामला राजनीतिक फैसला नहीं था, बल्कि कानूनी प्रक्रिया थी, और हमने सभी नियमों का पालन किया। अफजल गुरु के परिवार द्वारा तिहाड़ जेल आकर नमाज अदा करने की अर्जी पर शिंदे ने कहा है कि वह इस पर गौर करेंगे।
इस बीच, जम्मू एवं कश्मीर के चीफ पोस्टमास्टर जनरल ने एनडीटीवी से बातचीत के दौरान बताया था कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने से पहले उसके परिवार को सूचना देने के लिए भेजा गया स्पीडपोस्ट आज (सोमवार, 11 फरवरी) उसके घर पहुंच गया है। चीफ पोस्टमास्टर जनरल जॉन सैमुअल के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा फांसी से पहले 8 फरवरी को स्पीडपोस्ट के जरिये भेजा गया खत शनिवार, 9 फरवरी को श्रीनगर पहुंच गया था, लेकिन उस दिन शनिवार होने के चलते यह खत सोपोर में बसे उसके परिवार को आज मिला।
दरअसल, केंद्र सरकार ने शनिवार को अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद दावा किया था, कि राष्ट्रपति द्वारा अफजल गुरु की दया याचिका खारिज कर दिए जाने की जानकारी अफजल गुरु के परिवार को स्पीडपोस्ट के जरिये भेजी गई थी, लेकिन परिवार इस दावे को गलत बता रहा था।
केन्द्रीय कारागार संख्या 3, तिहाड़ के जेल अधीक्षक की ओर से 6 फरवरी को लिखे गए इस खत को 8 फरवरी को 00:07 बजे (7 फरवरी की रात) स्पीडपोस्ट के जरिये रवाना किया गया था। जेल अधीक्षक ने यह पत्र अफजल गुरु की बीवी तबस्सुम के नाम भेजा था, जो सीर - जागीर, पुलिस स्टेशन सोपोर, जिला बारामूला, जम्मू एवं कश्मीर के पते पर रहती है। पत्र में तबस्सुम को ख़बर दी गई है कि राष्ट्रपति ने अफजल गुरु की दया याचिका को खारिज कर दिया है, और उसे (अफजल गुरु को) फांसी देने के लिए शनिवार, 9 फरवरी सुबह आठ बजे का वक्त तय किया गया है।
शिंदे ने कहा कि अफजल गुरु के परिजनों को खत भेजे जाने के अलावा उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी खुद फोन करके 8 फरवरी को फांसी के कार्यक्रम की सूचना दी थी। उन्होंने कहा कि अजमल आमिर कसाब और अफजल गुरु के मामले काफी संवेदनशील थे, इसलिए सरकार ने गोपनीयता बरती।
उन्होंने कहा कि यह मामला राजनीतिक फैसला नहीं था, बल्कि कानूनी प्रक्रिया थी, और हमने सभी नियमों का पालन किया। अफजल गुरु के परिवार द्वारा तिहाड़ जेल आकर नमाज अदा करने की अर्जी पर शिंदे ने कहा है कि वह इस पर गौर करेंगे।
इस बीच, जम्मू एवं कश्मीर के चीफ पोस्टमास्टर जनरल ने एनडीटीवी से बातचीत के दौरान बताया था कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने से पहले उसके परिवार को सूचना देने के लिए भेजा गया स्पीडपोस्ट आज (सोमवार, 11 फरवरी) उसके घर पहुंच गया है। चीफ पोस्टमास्टर जनरल जॉन सैमुअल के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा फांसी से पहले 8 फरवरी को स्पीडपोस्ट के जरिये भेजा गया खत शनिवार, 9 फरवरी को श्रीनगर पहुंच गया था, लेकिन उस दिन शनिवार होने के चलते यह खत सोपोर में बसे उसके परिवार को आज मिला।
दरअसल, केंद्र सरकार ने शनिवार को अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद दावा किया था, कि राष्ट्रपति द्वारा अफजल गुरु की दया याचिका खारिज कर दिए जाने की जानकारी अफजल गुरु के परिवार को स्पीडपोस्ट के जरिये भेजी गई थी, लेकिन परिवार इस दावे को गलत बता रहा था।
केन्द्रीय कारागार संख्या 3, तिहाड़ के जेल अधीक्षक की ओर से 6 फरवरी को लिखे गए इस खत को 8 फरवरी को 00:07 बजे (7 फरवरी की रात) स्पीडपोस्ट के जरिये रवाना किया गया था। जेल अधीक्षक ने यह पत्र अफजल गुरु की बीवी तबस्सुम के नाम भेजा था, जो सीर - जागीर, पुलिस स्टेशन सोपोर, जिला बारामूला, जम्मू एवं कश्मीर के पते पर रहती है। पत्र में तबस्सुम को ख़बर दी गई है कि राष्ट्रपति ने अफजल गुरु की दया याचिका को खारिज कर दिया है, और उसे (अफजल गुरु को) फांसी देने के लिए शनिवार, 9 फरवरी सुबह आठ बजे का वक्त तय किया गया है।
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