अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से वहां मौजूद लोगों का एक-एक पल डर के साये में बीत रहा है. अफगानिस्तान में मौजूद दूसरे देश के नागिरक जल्द से जल्द अपने वतन लौटने की बाट जोह रहे हैं. जिन लोगों की अफगानिस्तान से स्वदेश वापसी हो गई है... उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है. तालिबानी कब्जे के बाद आतंक के दल-दल में तब्दील हो चुके अफगानिस्तान का आंखों देखा हाल NDTV से बयां किया है वहां से लौटी एक फ्रीलांस महिला पत्रकार ने. स्वतंत्र पत्रकार कनिका गुप्ता तब अफगानिस्तान में ही मौजूद थीं, जब तालिबान ने सिलसिलेवार हमले करते हुए अफगान पर कब्जा किया. कनिका गुप्ता काफी समय से अफगानिस्तान में अलग-अलग संस्थानों के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता कर रही थीं. अफगान में तालिबानियों का परचम लहराने के बाद कनिका काफी संघर्ष के बाद भारत सुरक्षित लौटी हैं. आइये आपको रूबरू कराते हैं कनिका की आपबीती से...
कनिका ने बताया कि तालिबान के माध्यम से भारतीय दूतावास तक पहुंचना आसान नहीं था, फिर वह दूतावास तक पहुंचने में कामयाब रहीं. उन्होंने बताया कि तालिबानी कई महिला पत्रकारों के घर जा रहे थे, उनसे पूछताछ कर रहे थे. तालिबानियों ने जब कनिका के बारे में पूछा तो उन्हें उसी वक्त लगा कि अब भारत वापस चले जाना चाहिए.
कनिका गुप्ता ने फिर भारतीय दूतावास में बात की और तालिबानियों के पूछताछ के बारे में बताया. दूतावास से उन्हें कहा गया कि किसी भी तरह वे दूतावास पहुंचने की कोशिश करें. रास्ते में तालिबानियों ने उन्हें दूतावास जाने से मना कर दिया. कनिका ने दोबारा कोशिश की तो तालिबानियों ने उन्हें जाने दिया. कनिका ने बताया, ''तालिबानी मुझसे आंख मिलाकर बात नहीं कर रहे थे. उन्हें लगता है कि महिला कैसे सीधे बात कर रही है.''
कनका ने कहा, ''फिर हमें तालिबानियों ने ही दूतावास तक पहुंचाया, हम कल रात 10 बजे काबुल एयरपोर्ट पहुंचे. तालिबान ने हमारे भारतीय काफिले को एयरपोर्ट तक पहुंचाया.'' उन्होंने कहा, ''हज़ारों लोग अब भी एयरपोर्ट के अंदर घुसना चाहते हैं, तालिबानी लोगों को हटाने के लिए हवा में फॉयर कर रहे थे. 5 घंटे हमने गाड़ी में बैठकर इंतज़ार किया. फिर सुबह 6 बजे हमने टेक ऑफ़ किया और 11 बजे भारत पहुंचे.''
कनिका ने बताया कि काबुल की हवाई पट्टी पर सिर्फ़ बिखरी चप्पलें दिख रही थीं. एयरपोर्ट अमेरिका और टर्की आर्मी मैनेज कर रहे हैं. सबसे ज़्यादा डर वहां कि महिलाओं में है. लोग वहां पाकिस्तान से नफ़रत करते हैं. वहां सबसे ज़्यादा उम्मीद भारत से है.
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