कुरुक्षेत्र के अस्पताल में मुन्नागीरी, मरीज को भर्ती होने के लिए दे रहे थे 200 रुपये

कुरुक्षेत्र के अस्पताल में मुन्नागीरी, मरीज को भर्ती होने के लिए दे रहे थे 200 रुपये

कुरुक्षेत्र:

कुरुक्षेत्र का आदेश अस्पताल विवादों में है। यहां नकली मरीजों को अस्पताल में दाखिल करवाकर इंस्पेक्शन में हेराफेरी का एक ऑडियो टेप सामने आया है। यह टेप अस्पताल प्रशासन के एक कर्मचारी राहुल राणा और पास के एक गांव के ब्लॉक समिति के पूर्व चेयरमैन जेडी सिंह के बीच का है।

फर्जी मरीजों को दिखाकर सुविधाएं दिलाने की बात
दरअसल अस्पताल फर्जी मरीजों को दिखाकर मेडिकल कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा और सुविधाएं दिलाना चाहता है इसलिए इंस्पेक्शन से एक दिन पहले पैसे देकर नकली मरीजों को दाखिल करने की बात की जा रही है।

एक रात भर्ती होने के लिए मरीजों को 200-200 रुपये
बातचीत में कॉलेज की तरफ से राहुल राणा मरीजों को सिर्फ एक रात के लिए अस्पताल में दाखिल करने की बात कर रहा है और बदले में हर मरीज को मुफ्त में खाना-पीना और 200-200 रुपये देने की भी बात कर रहा है। वहीं जेडी सिंह ऑडियो टेप में राहुल राणा की बात का विरोध करते हुए सुनाई दे रहे हैं।

क्या है मामला
दरअसल, यह अस्पताल अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है। बिल्डिंग में काम चालू है और गिनती के मरीज हैं। आदेश अस्पताल को निजी मेडिकल कॉलेज का लाइसेंस चाहिए। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम फरवरी में इंस्पेक्शन करने आएगी। उससे पहले राज्य सरकार की इजाजत जरूरी है। आरोप है कि 3 अक्टूबर को स्वास्थ्य महकमे की टीम के मुआयने से पहले अस्पताल प्रशासन ने फर्जी मरीज जुटाने के लिए आसपास के गांव के सरपंचों को फोन कर लालच दिया।

पूर्व सरपंच जेडी सिंह की एनडीटीवी से बातचीत
पूर्व सरपंच जेडी सिंह ने एनडीटीवी को बताया कि मेरे पास राहुल राणा नाम के शख्स का फोन 2 अक्टूबर को आया था। उन्होंने कहा कि हमें आपके यहां से लोग चाहिए और अपने गांव से कुछ आदमी दो तो मैंने उनको बोला कि आप क्या करवाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम इनको 200 रुपये देंगे और इनका खाने-पीने का इंतजाम करेंगे और इनको बेड के ऊपर लेटना है, कल हमारी इंस्पेक्शन है।

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का बयान
हरियाणा स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि अस्पताल को मेडिकल कॉलेज का दर्जा चाहिए था इसके लिए हमने इंस्पेक्शन के लिए लिख दिया था। कमेटी की रिपोर्ट भी आ गई है। उसमें भी यह लिखा है कि ऐसा लगता है कि नकली मरीज बनाकर अस्पताल में दिखाए गए हैं।

अस्पताल प्रशासन का दावा
अस्पताल प्रशासन दावा कर रहा है कि राहुल राणा नाम का कोई शख्स उनके यहां काम नहीं करता। प्रिंसिपल डॉ मंदीप सिंह ने दावा किया कि राहुल राणा नाम का शख्स हमारा कर्मचारी नहीं है। हम किसी को मरीज बनने के लिए पैसे नहीं देते। आप देख सकते हैं कि हमारा अस्पताल ठीक चल रहा है और एमसीआई के मानकों के मुताबिक, जनवरी या फरवरी तक हम सभी मानदंड पूरे कर लेंगे।

आदेश ग्रुप का बठिंडा में पहले से ही है मेडिकल कॉलेज
आदेश ग्रुप का बठिंडा में पहले से ही मेडिकल कॉलेज चल रहा है, जिसे हाल ही में पंजाब मेडिकल काउंसिल ने कागज़ी टीचर रखने के आरोप में नोटिस जारी किया है। पंजाब मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ जीएस ग्रेवाल कहते हैं कि मेडिकल कॉलेज का दर्जा हासिल करने के लिए अस्पताल को अपनी बेड की गिनती 50-60 फीसदी रखनी होती है तो इंस्पेक्शन के दिनों के लिए लोगों को किराये पर ले आते हैं ताकि इनकी इंस्पेक्शन हो जाए और ये अपना एडमिशन कर लें, लेकिन बच्चे जिनको ये भर्ती कर रहे हैं उनको कहां से पढ़ाएंगे। न उनके पास डॉक्टर टीचर हैं और न सीखने के लिए मरीज हैं और देश में यह बहुत खतरनाक ट्रेंड चल पड़ा है।

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क्या है इरादा
100 सीटों वाले मेडिकल कॉलेज का दर्जा हासिल करने के लिए कम से कम मरीजों के लिए 600 बेड का अस्पताल होना चाहिए, जिसे इलाज का कम से कम 5 साल का अनुभव हो। ऐसे में आदेश ग्रुप की जल्दबाजी के पीछे वजह कहीं एमबीबीएस दाखिलों से होने वाली मोटी कमाई तो नहीं?