
प्रतीकात्मक फोटो.
मुंबई:
वैश्विक तौर पर भारत छुट्टियों के मामले में चौथा सबसे वंचित देश है. एक रपट के अनुसार करीब 63 प्रतिशत लोग उनको मिलने वाली छुट्टियों से कम छुट्टियां लेते हैं.
एक्सपीडिया की ‘वेकेशन डेप्रिवेशन रपट 2016’ के अनुसार वैश्विक आधार पर 68 प्रतिशत के साथ स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात सबसे ज्यादा छुट्टियों से वंचित देश हैं. इसके बाद 67 प्रतिशत के साथ मलेशिया और 64 प्रतिशत के साथ दक्षिण कोरिया का स्थान आता है और भारत इस क्रम में 63 प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर है.
रपट के अनुसार करीब 40 प्रतिशत भारतीय अपनी सभी छुट्टियों का उपयोग नहीं कर पाते क्योंकि उनके काम की समय सारिणी उन्हें इसकी अनुमति नहीं देती और उनके स्थान पर काम करने के लिए पर्याप्त कर्मचारियों की संख्या भी नहीं होती. इसके अलावा 32 प्रतिशत लोग अपने निजी कार्यों के चलते अपनी छुट्टियां नहीं ले पाते.
एक्सपीडिया के भारत के विपणन प्रमुख मनमीत आहलूवालिया ने कहा कि काम और निजी जीवन के बीच छुट्टियां अहम किरदार अदा करती हैं. छुट्टियों के बाद लोग फिर से ऊर्जावान महसूस करते हैं और काम पर ज्यादा ध्यान दे पाते हैं. इस बात पर करीब 95 प्रतिशत भारतीयों ने सहमति जताई है.
कंपनी ने इसके लिए 12 से 29 सितंबर 2016 के बीच ऑनलाइन आंकड़े जुटाए थे और उसी का आकलन कर यह रपट प्रकाशित की है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एक्सपीडिया की ‘वेकेशन डेप्रिवेशन रपट 2016’ के अनुसार वैश्विक आधार पर 68 प्रतिशत के साथ स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात सबसे ज्यादा छुट्टियों से वंचित देश हैं. इसके बाद 67 प्रतिशत के साथ मलेशिया और 64 प्रतिशत के साथ दक्षिण कोरिया का स्थान आता है और भारत इस क्रम में 63 प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर है.
रपट के अनुसार करीब 40 प्रतिशत भारतीय अपनी सभी छुट्टियों का उपयोग नहीं कर पाते क्योंकि उनके काम की समय सारिणी उन्हें इसकी अनुमति नहीं देती और उनके स्थान पर काम करने के लिए पर्याप्त कर्मचारियों की संख्या भी नहीं होती. इसके अलावा 32 प्रतिशत लोग अपने निजी कार्यों के चलते अपनी छुट्टियां नहीं ले पाते.
एक्सपीडिया के भारत के विपणन प्रमुख मनमीत आहलूवालिया ने कहा कि काम और निजी जीवन के बीच छुट्टियां अहम किरदार अदा करती हैं. छुट्टियों के बाद लोग फिर से ऊर्जावान महसूस करते हैं और काम पर ज्यादा ध्यान दे पाते हैं. इस बात पर करीब 95 प्रतिशत भारतीयों ने सहमति जताई है.
कंपनी ने इसके लिए 12 से 29 सितंबर 2016 के बीच ऑनलाइन आंकड़े जुटाए थे और उसी का आकलन कर यह रपट प्रकाशित की है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)