मिड डे मील में आधार को लेकर ममता बनर्जी का मोदी सरकार पर वार, बच्चों का हक क्यों छीन रहे हो

मिड डे मील में आधार को लेकर ममता बनर्जी का मोदी सरकार पर वार, बच्चों का हक क्यों छीन रहे हो

ममता बनर्जी ने जताया विरोध

खास बातें

  • टीएमसी इस मुद्दे को संसद में उठाने की तैयारी कर रही है.
  • अब क्या नवजात शिशु को भी आधार कार्ड चाहिए?
  • नरेगा को भी रिहाई नहीं मिली.
नई दिल्ली:

मिड डे मील के लिए आधार कार्ड को जरूरी बनाने के केन्द्र के फ़ैसले का विरोध शुरू हो गया है. दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने केन्द्र के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है. ममता बनर्जी ने इस फैसले को काफी चौंकाने वाला बताया है. टीएमसी इस मुद्दे को संसद में उठाने की तैयारी कर रही है. जहां एक ओर केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि इस फैसले से किसी तरह की कोई समस्या नहीं होगी वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और लेफ्ट भी इस मुद्दे पर ममता के साथ दिख रहे हैं. बनर्जी ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके केन्द्र के इस फ़ैसले का विरोध करते हुए लिखा है- अब क्या नवजात शिशु को भी आधार कार्ड चाहिए? मिड डे मील, ICDS के लिए भी आधार चाहिए? अविश्वसनीय! नरेगा को भी रिहाई नहीं मिली...ग़रीबों की मदद करने के स्थान पर ग़रीब, पिछड़े हुए लोग और हमारे प्यारे बच्चों से उनका हक़ क्यों छीना जा रहा है? आधार के नाम पर गोपनियता नष्ट की जा रही है... यह एक तरह की वसूली है...यह सरकार इतनी नकारात्मक क्यों है? पूरे देश में इसका विरोध होना चाहिए.

वहीं केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने भी बयान जारी करके कहा है कि जब मिड डे मील स्कीम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए है तो इसमें पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए आधार की क्या ज़रूरत है? देश में स्कूल जाने वाले 13.6 करोड़ बच्चों में से 10.3 करोड़ बच्चों को इसका लाभ मिलता है. स्कीम में बदलाव स्कूल जाने वालों बच्चों की संख्या पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com