नई दिल्ली:
2जी घोटाले में फंसे पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सामने पेश होना चाहते हैं। राजा ने जेपीसी और लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर अपनी यह इच्छा जताई है।
राजा का कहना है कि उनके पेश होने से 2जी घोटाले का सच सामने आएगा। चिट्ठी में राजा ने लिखा है कि इस पूरे मामले की सच्चाई को दबाया गया है और साथ ही मुझे अपनी बात कहने का मौका भी नहीं दिया गया।
जेपीसी में डीएमके सदस्य टीआर बालू और टी शिवा की ओर से राजा को गवाह के तौर पर बुलाने के लिए समिति के अध्यक्ष पीसी चाको पर दबाव दिया जा रहा था। इनकी यह भी मांग थी कि अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती को समिति के समक्ष फिर से बुलाया जाए। वाहनवती ने इस महीने जेपीसी के समक्ष कहा था कि राजा ने 2008 में 2जी लाइसेंस से संबंधित विवादास्पद प्रेस नोट को अंतिम क्षणों में बदल दिया था। वाहनवती उस समय सॉलिसिटर जनरल थे।
चाको संभवत: राजा को गवाह के तौर पर बुलाने के खिलाफ हैं। समझा जाता है कि उन्होंने सदस्यों को बताया कि एक आरोपी के तौर पर उन्हें कानूनी संरक्षण प्राप्त है और वह किसी समिति के समक्ष नया खुलासा नहीं कर सकते हैं, इसलिए राजा को बुलाने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन चाको को अभी इस विषय पर अंतिम फैसला करना है।
चाको ने हाल ही में कहा था, अगर राजा को बुलाया जाएगा, वह अंतिम गवाह होंगे। बहरहाल, संसद सूत्रों ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष समिति को किसी व्यक्ति को गवाह के तौर पर बुलाने का निर्देश नहीं दे सकती हैं। इस स्थिति में वह राजा के पत्र को चाको को भेज सकती हैं।
(इनपुट भाषा से भी)
राजा का कहना है कि उनके पेश होने से 2जी घोटाले का सच सामने आएगा। चिट्ठी में राजा ने लिखा है कि इस पूरे मामले की सच्चाई को दबाया गया है और साथ ही मुझे अपनी बात कहने का मौका भी नहीं दिया गया।
जेपीसी में डीएमके सदस्य टीआर बालू और टी शिवा की ओर से राजा को गवाह के तौर पर बुलाने के लिए समिति के अध्यक्ष पीसी चाको पर दबाव दिया जा रहा था। इनकी यह भी मांग थी कि अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती को समिति के समक्ष फिर से बुलाया जाए। वाहनवती ने इस महीने जेपीसी के समक्ष कहा था कि राजा ने 2008 में 2जी लाइसेंस से संबंधित विवादास्पद प्रेस नोट को अंतिम क्षणों में बदल दिया था। वाहनवती उस समय सॉलिसिटर जनरल थे।
चाको संभवत: राजा को गवाह के तौर पर बुलाने के खिलाफ हैं। समझा जाता है कि उन्होंने सदस्यों को बताया कि एक आरोपी के तौर पर उन्हें कानूनी संरक्षण प्राप्त है और वह किसी समिति के समक्ष नया खुलासा नहीं कर सकते हैं, इसलिए राजा को बुलाने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन चाको को अभी इस विषय पर अंतिम फैसला करना है।
चाको ने हाल ही में कहा था, अगर राजा को बुलाया जाएगा, वह अंतिम गवाह होंगे। बहरहाल, संसद सूत्रों ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष समिति को किसी व्यक्ति को गवाह के तौर पर बुलाने का निर्देश नहीं दे सकती हैं। इस स्थिति में वह राजा के पत्र को चाको को भेज सकती हैं।
(इनपुट भाषा से भी)
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