महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस (Coronavirus) को फैलने से रोकने के लिए भारत में 21 दिनों के लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा की गई है. आज इसका पांचवा दिन है. लॉकडाउन की वजह से हजारों की संख्या में मजदूरों व अन्य पेशे से जुड़े कामगारों के सामने दो जून की रोटी का संकट पैदा हो गया है. काम नहीं है, पैसे नहीं हैं, बसें व ट्रेनें भी नहीं चल रही हैं, लिहाजा मजदूर पैदल ही सैकड़ों मील का सफर तय करने को मजबूर हैं. घर जाने वालों में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की संख्या ज्यादा है. राज्य सरकारों ने उनकी मुश्किलें देखते हुए कुछ बसों की व्यवस्था जरूर की है लेकिन यह नाकाफी साबित हो रही है. दिल्ली से यूपी-बिहार लौटने वालों की संख्या हजारों में है. बस स्टेशनों व आसपास भारी संख्या में लोग मौजूद हैं. वहीं अब इन राज्य सरकारों ने यह तय किया है कि यूपी और बिहार लौटने वाले लोगों को सरकारी कैंपों (क्वारंटाइन सेंटर) में अनिवार्य रूप से 14 दिनों के लिए रहना होगा.
शनिवार को पूरे दिन दिल्ली के आनंद विहार बस स्टेशन पर बसों के इंतजार में हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे. यूपी और दिल्ली सरकार ने उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 500 बसों का इंतजाम भी किया लेकिन यह भी नाकाफी रहा. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने सूबे के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उन डेढ़ लाख प्रवासियों का पता लगाया जाए, जो पिछले तीन दिनों में राज्य में दाखिल हुए हैं. सभी को 14 दिनों के लिए सरकारी क्वारंटाइन कैंपों में रखा जाए. वहां खाना व उनकी जरूरतों का ख्याल रखा जाए. उन सभी के नाम, पता और फोन नंबर अधिकारियों के पास हैं और अब उनकी निगरानी की जा रही है.
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उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) ने इस बार में कहा, 'ध्यान रहे कि दिल्ली से कोई अपने घर या गांव नहीं पहुंचेगा बल्कि उसको 14 दिन सरकारी कैंप में रहना होगा.' शनिवार रात इस संबंध में प्रशासन की ओर से सभी गांवों के प्रधानों को करीब 65 हजार कॉल्स की गईं. ग्राम प्रधानों से व्यवस्था दुरुस्त रखने के संबंध में बातचीत की गई. प्रधानों से पिछले तीन दिनों में आने वाले लोगों की लिस्ट बनाने के लिए भी कहा गया है. प्रशासन की ओर से इस काम के लिए नोडल अफसर को नियुक्त किया गया है. बीती रात शहरों से होते हुए देवरिया जिले में कुछ लोग पहुंचे थे. उनसे उनके नाम, पता और फोन नंबर पूछा गया और थर्मल स्कैनिंग के बाद उन्हें उनके गांव जाने दिया गया. इस जांच के दौरान कोई भी संदिग्ध नहीं मिला.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि राज्य में आने वाले लोगों के लिए सीमा से सटे इलाकों में राहत कैंप लगाए जाएं. सभी लोगों को 14 दिनों तक सरकारी कैंपों में रहने के बाद ही उनके गांव जाने दिया जाएगा. नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा था कि लोगों को उनके घरों में भेजने के लिए बसों की व्यवस्था करने से लॉकडाउन का मकसद खत्म हो रहा है. उन्होंने कहा, 'ऐसा करने से अगले कुछ दिनों में यह वायरस और तेजी से फैलेगा. लोगों को उनके घर भेजने से बेहतर होगा कि स्थानीय स्तर पर कैंप लगाकर लोगों को वहीं रोका जाए. राज्य सरकार इसपर होने वाले खर्च का पूरा भार वहन करेगी.' बताते चलें कि देश में कोरोना वायरस की वजह से अभी तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है. अब तक इसके 979 मामले सामने आ चुके हैं. 87 मरीज इस बीमारी को हराने में कामयाब भी हुए हैं.
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