'हिट एंड रन' मामले में सलमान को 'किक', इस तरह का रहा पूरा घटनाक्रम

'हिट एंड रन' मामले में सलमान को 'किक', इस तरह का रहा पूरा घटनाक्रम

मुंबई:

'दबंग' सलमान खान को मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने 2002 के 'हिंट एंड रन' मामले में पांच साल कैद की सजा सुनाई है। 13 साल तक चले इस मामले ने कभी भी सलमान का पीछा नहीं छोड़ा। कठोर धाराएं लगाने पर मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया। लेकिन 'हिट एंड रन' मामले का भूत हमेशा उनके पीछे लगा रहा और पूरी सुनवाई के दौरान कभी भी ऐसा नहीं लगा कि सलमान इस मामले में बच निकलेंगे। आखिर हुआ भी ऐसा ही 13 साल बाद फैसला आया तो 'भाईजान' को 5 साल जेल की सजा मिली।

बॉलीवुड के 'बॉडीगार्ड' के खिलाफ चले इस मामले के 13 साल के मुख्य घटना क्रम इस प्रकार रहे...

- 6 मई 2015 : अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी.वी. देशपांडे ने सलमान को 2002 के हिंट एंड रन मामले में दोषी करार दिया और पांच साल कैद की सजा सुनाई।

- सलमान के खिलाफ आरोप : धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), जिसमें 10 साल कैद की सजा का प्रावधान है। धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना) जिसके तहत छह महीने जेल का प्रावधान है। धारा 337 और 338 (गंभीर चोट पहुंचाकर जान जोखिम में डालना) जिसमें दो साल की सजा होती है। धारा 427 (संपत्ति बर्बाद करना) जिसमें अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है।

मोटर वाहन अधिनियम : धारा 34, 181 (नियमों का उल्लंघन करते हुए गाड़ी चलाना) और धारा 185 (शराब पीकर तेज गति से गाड़ी चलाना) जिसमें ड्राइविंग लायसेंस रद्द कर दिया जाता है।

बंबई निषेध अधिनियम : नशे में गाड़ी चलाना। इसके तहत छह महीने जेल की सजा होती है।

- 20 अप्रैल 2015 : न्यायाधीश देशपांडे ने फैसले के लिए 6 मई, 2015 की तारीख तय की। बचाव पक्ष के वकील श्रीकांत शिवड़े ने अभियोजन पक्ष के आरोपों पर जोरदार बहस की।

- 25 मार्च : पुन: सुनवाई के दौरान 27 गवाहों से जिरह के बाद विशेष पब्लिक प्रोसिक्यूटर प्रदीप घरात ने सलमान के खिलाफ अपना मामला बंद किया।

- अप्रैल 2014 : पहले गवाह सांबा गौड़ा ने पुन: सुनवाई में गवाही दी। पुन: सुनवाई सत्र अदालत में नियमित रूप से जारी रही।

- दिसंबर 2013 : मुंबई सत्र न्यायालय ने सलमान के खिलाफ नया मुकदमा करने और महानगर दंडाधिकारी अदालत में गवाही देने वाले और सभी गवाहों से नए सबूत रिकॉर्ड करने के आदेश दिए।

- 23 जुलाई, 2013 : सत्र अदालत ने सलमान के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का आरोप तय किया।

- 24 जून, 2013 : सत्र अदालत ने सलमान की याचिका खारिज की।

- मार्च 2013 : सलमान ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए सत्र अदालत में एक पुनर्विचार याचिका दायर की।

- दिसंबर 2012 : बांद्रा महानगर दंडाधिकारी अदालत ने कहा कि यह मामला धारा 304 के तहत आता है। इसके बाद मामला सत्र न्यायालय में भेज दिया गया।

- मार्च 2011 : अभियोजन पक्ष ने सलमान के खिलाफ आरोप बढ़ाने की मांग की।

- मई 2007 : रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट में बताया गया कि दुर्घटना के वक्त सलमान ने शराब पी रखी थी।

- अक्टूबर 2006 : बांद्रा महानगर दंडाधिकारी अदालत ने सलमान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 और अन्य धाराओं के अंतर्गत आरोप तय किए।

- दिसंबर 2003 : सलमान को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट को सभी सबूतों के अवलोकन के बाद फैसला करना चाहिए कि सलमान पर आईपीसी की कठोर धाराएं लगाई जानी चाहिए या नहीं।

- अक्टूबर 2003 : सुप्रीम कोर्ट में बंबई हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई कि मामले में धारा 304 लागू नहीं होती।

- मई 2003 : अदालत ने सलमान की याचिका खारिज करते हुए दंडाधिकारी अदालत को धारा 304 के तहत आरोप लगाने को कहा।

- मार्च 2003 : सलमान ने सत्र न्यायालय में धारा 304 को चुनौती देते हुए याचिका दायर की।

- 24 अक्टूबर, 2002 : सलमान को दूसरी बार गिरफ्तार किया गया। सत्र न्यायालय से जमानत मिली।

- 21 अक्टूबर, 2002 : ब्रांद्रा पुलिस ने सलमान पर धारा 304 लगाते हुए आरोप पत्र दायर किए।

- 28 सितंबर, 2002 : तड़के लगभग दो बजे सलमान खान की टोयोटा लैंड क्रूजर बांद्रा पश्चिम में सलमान के गैलेक्सी अपार्टमेंट के पास सड़क किनारे बनी एक बेकरी में जा भिड़ी।

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इसी दिन दोपहर बाद बांद्रा पुलिस ने सलमान को गिरफ्तार किया और बांद्रा महानगर दंडाधिकारी अदालत से वह जमानत पर रिहा हुए।