न्यूयॉर्क:
अमेरिका के शोधार्थियों ने एक प्रायोगिक अध्ययन में पाया है कि लेज़र के माध्यम से ट्यूमर पर सटीक तरीके से ऊष्मा का प्रभाव प्रोस्टेट कैंसर के रिस्क से गुजर रहे पुरुषों के लिए लाभदायक हो सकता है। इसके साथ ही यह पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित दुष्प्रभावों से भी बचाव करता है। काफी पहले से प्रोस्टेट कैंसर का इलाज सर्जरी और रेडिएशन के माध्यम से ही होता रहा है। जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन और मूत्र असंयम जैसे कई साइड इफेैक्ट होने का खतरा होता है।
इस छह महीने की प्रक्रिया के दौरान शोधार्थियों को मूत्र और यौन गतिविधियों में कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं मिला।
यह तकनीक मैग्नेटिक रेज़ोनैंस इमेजिंग (एमआरआई) का प्रयोग करती है, जो कैंसर ट्यूमर में एक लेज़र फाइबर की प्रवेश का मार्गदर्शन करता है। गरम होने पर लेज़र कैंसर ऊतकों को नष्ट कर देता है।
युूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक लियोनॉर्ड मार्क्स ने कहा, "यह तकनीक प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए एक नई और रोमांचक अवधारणा है।"
यह शोध 'जर्नल ऑफ यूरोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
इस छह महीने की प्रक्रिया के दौरान शोधार्थियों को मूत्र और यौन गतिविधियों में कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं मिला।
यह तकनीक मैग्नेटिक रेज़ोनैंस इमेजिंग (एमआरआई) का प्रयोग करती है, जो कैंसर ट्यूमर में एक लेज़र फाइबर की प्रवेश का मार्गदर्शन करता है। गरम होने पर लेज़र कैंसर ऊतकों को नष्ट कर देता है।
युूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक लियोनॉर्ड मार्क्स ने कहा, "यह तकनीक प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए एक नई और रोमांचक अवधारणा है।"
यह शोध 'जर्नल ऑफ यूरोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं