मुंबई:
फिल्म 'शानदार' की कहानी शुरू होती है एनीमेशन के साथ नसीरुद्दीन शाह की आवाज में पंकज कपूर यानी बिपिन की कहानी सुनाते हुए, जिसने एक बच्ची को गोद लिया है। बच्ची का नाम आलिया है और इसे नींद नहीं आती। और इसके बाद पहले सीन में ही शाहिद कपूर की शानदार एंट्री होती है।
बाद में ये कहानी पहुंचती है डेस्टिनेशन मैरिज की तरफ जहां पंकज कपूर की दूसरी बेटी ईशा की शादी होने वाली है संजय कपूर के छोटे भाई से और इस शादी का पूरा इंतजाम किया है जगजिंदर यानी शाहिद कपूर ने। यहां मालूम पड़ता है कि शाहिद को भी नींद नहीं आने की बीमारी है।
फिल्म 'शानदार' में डेस्टिनेशन मैरिज के नाम पर कुछ अच्छे दृश्य हैं। परदे पर सुंदर दृश्य दिखाए हैं। एक रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्म है जिसमें शाहिद और आलिया की जोड़ी बेहतरीन लगी है और दोनों ने बड़ी आसान दिखने वाली बेहतरीन एक्टिंग की है। पंकज कपूर का अभिनय ज़बरदस्त है और संजय कपूर भी अच्छे लगे हैं।
निर्देशक विकास बहल ने डायरेक्शन में अपनी छाप कहीं-कहीं दिखाई है, जैसे आलिया के इर्द-गिर्द तितलियों का उड़ना, फूलों का गिरना वगैरह-वगैरह। फिल्म में कई दृश्य हंसाते हैं और कुछ डायलॉग्स भी अच्छे लगे हैं मगर इन सबके वावजूद विकास बहल इस फिल्म को बनाने में मेरे नज़रिये से थोड़े चूक गए।
विकास बहल की फिल्म 'क्वीन' और चिल्लर पार्टी के बाद हमें 'शानदार' से बड़ी उम्मीदें थी जिस पर फिल्म खरी नहीं उतरी। कहीं-कहीं फिल्म हंसाएगी मगर कहानी और स्क्रीनप्ले कमज़ोर है, जरूरत से ज़्यादा लंबी, कई जगह ढेर सारी नौटंकी है।
शाहिद और आलिया की शानदार जोड़ी अगर देखना चाहते हैं तो एक बार आप देख सकते हैं। अगर फिल्म नहीं भी देखेंगे तो कुछ मिस नहीं करेंगे, क्योंकि विकास बहल की फिल्म 'क्वीन' को मैंने 4 स्टार दिए थे और इसे 2.5 स्टार दे रहा हूं तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कितना फर्क है दोनों फिल्मों में।
बाद में ये कहानी पहुंचती है डेस्टिनेशन मैरिज की तरफ जहां पंकज कपूर की दूसरी बेटी ईशा की शादी होने वाली है संजय कपूर के छोटे भाई से और इस शादी का पूरा इंतजाम किया है जगजिंदर यानी शाहिद कपूर ने। यहां मालूम पड़ता है कि शाहिद को भी नींद नहीं आने की बीमारी है।
फिल्म 'शानदार' में डेस्टिनेशन मैरिज के नाम पर कुछ अच्छे दृश्य हैं। परदे पर सुंदर दृश्य दिखाए हैं। एक रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्म है जिसमें शाहिद और आलिया की जोड़ी बेहतरीन लगी है और दोनों ने बड़ी आसान दिखने वाली बेहतरीन एक्टिंग की है। पंकज कपूर का अभिनय ज़बरदस्त है और संजय कपूर भी अच्छे लगे हैं।
निर्देशक विकास बहल ने डायरेक्शन में अपनी छाप कहीं-कहीं दिखाई है, जैसे आलिया के इर्द-गिर्द तितलियों का उड़ना, फूलों का गिरना वगैरह-वगैरह। फिल्म में कई दृश्य हंसाते हैं और कुछ डायलॉग्स भी अच्छे लगे हैं मगर इन सबके वावजूद विकास बहल इस फिल्म को बनाने में मेरे नज़रिये से थोड़े चूक गए।
विकास बहल की फिल्म 'क्वीन' और चिल्लर पार्टी के बाद हमें 'शानदार' से बड़ी उम्मीदें थी जिस पर फिल्म खरी नहीं उतरी। कहीं-कहीं फिल्म हंसाएगी मगर कहानी और स्क्रीनप्ले कमज़ोर है, जरूरत से ज़्यादा लंबी, कई जगह ढेर सारी नौटंकी है।
शाहिद और आलिया की शानदार जोड़ी अगर देखना चाहते हैं तो एक बार आप देख सकते हैं। अगर फिल्म नहीं भी देखेंगे तो कुछ मिस नहीं करेंगे, क्योंकि विकास बहल की फिल्म 'क्वीन' को मैंने 4 स्टार दिए थे और इसे 2.5 स्टार दे रहा हूं तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कितना फर्क है दोनों फिल्मों में।
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