यह ख़बर 22 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

फिल्म रिव्यू रंगरेज : युवाओं के लिए बनी है यह फिल्म

खास बातें

  • फ़िल्म रंगरेज़ को इससे पहले दक्षिण भारत की तीन भाषाओं में बनाया जा चुका है और तीनों ही भाषाओं में फ़िल्म हिट रही है। चौथी बार इस कहानी को पर्दे पर उतारा है डायरेक्टर प्रियदर्शन ने।
मुंबई:

फ़िल्म रंगरेज़ को इससे पहले दक्षिण भारत की तीन भाषाओं में बनाया जा चुका है और तीनों ही भाषाओं में फ़िल्म हिट रही है। चौथी बार इस कहानी को पर्दे पर उतारा है डायरेक्टर प्रियदर्शन ने।

कहानी तीन दोस्तों की है जो अपने किसी चौथे दोस्त को उसके प्यार से मिलाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल देते हैं। और लड़की को अग़वा करके उनकी शादी कर देते हैं। मगर कुछ ही दिनों में पता चलता है कि वह दोनों अलग हो चुके हैं क्योंकि उनके बीच प्यार नहीं आकर्षण था जो जल्द ही ख़त्म हो गया।

ये फ़िल्म युवाओं के लिए बनाई गई है जिन्हें हर रोज़ किसी न किसी से इश्क़ हो जाता है। फ़िल्म में बताने की कोशिश है कि जिसे आप प्यार समझ रहे हैं क्या वह वाकई में प्यार है या केवल आकर्षण।

रंगरेज़ में दोस्ती का रंग है जिसे जैकी भगनानी ने बख़ूबी निभाया है। जैकी की मेहनत और एनर्जी साफ़ झलकती है। फ़िल्म का संगीत अच्छा है। हालांकि इसे प्रियदर्शन का बेहतरीन सिनेमा नहीं कहेंगे।

फ़िल्म में जहां कुछ अच्छे मोमेंट्स हैं वहीं कुछ सीन अटपटे भी लगते हैं जैसे जैकी की दादी की मौत हुई है। डेड बॉडी घर में रखी हुई है और ऐसे मातम के माहौल में जैकी के होने वाले ससुर शादी तोड़ने के लिए झगड़ा कर रहे हैं। एक महिला नेता का किरदार काफ़ी ओवर है। उसकी भाषा और लहजे पर बिल्कुल पकड़ नहीं जिसकी वजह से वह किरदार काफ़ी बनावटी लगता है।

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इस फ़िल्म के कुछ सीन्स को छोड़ दें फ़िल्म में ग्रिप अच्छी है जो आपको बोर नहीं होने देती और रंगरेज़ को आप एक बार देख सकते हैं। इस फ़िल्म के लिए एनडीटीवी के इकबाल परवेज की रेटिंग है 3 स्टार।