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This Article is From Feb 24, 2017

'लिपस्टिक अंडर माई बुर्क़ा' के प्रोड्यूसर प्रकाश झा ने कहा, सेंसर बोर्ड अपने हिसाब से लगाता है नियमों के मतलब

'लिपस्टिक अंडर माई बुर्क़ा' के प्रोड्यूसर प्रकाश झा ने कहा, सेंसर बोर्ड अपने हिसाब से लगाता है नियमों के मतलब
फिल्‍म लिपस्टिक अंडर माई बुर्का का एक सीन.
नई दिल्‍ली: बॉलीवुड फिल्‍म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्क़ा' को सेंसर बोर्ड द्वारा बैन किए जाने से मनोरंजन जगत की कई हस्तियां नाराज हैं. फिल्‍म के निर्माता प्रकाश झा ने कहा है कि वह बैन के खिलाफ ट्रिब्‍यूनल में अपील करेंगे. उन्‍होंने एएनआई से कहा, 'हां, जैसे मैंने पहले भी किया है, ट्रिब्‍यूनल में फिर अपील करूंगा, वही इकलौता विकल्‍प है.' झा ने यह भी कहा कि सेंसर बोर्ड के पास फिल्‍मों पर कैंची चलाने की ताकत नहीं होनी चाहिए. अलंकृता श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी इस फिल्म को प्रकाश झा ने प्रोड्यूस किया है, फिल्म में कोंकणा सेन, रत्ना पाठक शाह, विक्रांत मैसी, अहाना कुमरा, प्लाबिता बोरठाकुर और शशांक अरोड़ा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

प्रकाश झा ने एएनआई से बात करते हुए कहा, 'सीबीएफसी में कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी सोचने का अपना एक तरीका है और वह गाइडलाइन्‍स को अपने हिसाब से तय कर लेते हैं. बाकी लोग आएंगे और वह इन नियमों को अपने हिसाब से तय करेंगे. जब भी इस तरह की आजादी दी जाती है, ऐसी समस्‍या तो रहेगी ही. जब भी हमारे पास फैसला लेने की ताकत होगी, ऐसा ही होगा.'

बता दें कि सेंसर बोर्ड इससे पहले प्रकाश झा की फिल्‍म 'जय गंगाजल' और 'राजनीति' को भी एडिट करने के निर्देश दे चुके हैं. प्रकाश झा ने एएनआई को कहा, 'बोर्ड से पहले भी मुझे समस्‍या होती रही है और यह अक्‍सर होता है. लेकिन मेरी डायरेक्‍टर पहलाज निहलानी से कोई परेशानी नहीं है.'

सेंसर बोर्ड ने कई पुरस्‍कार जीत चुकी फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' को प्रमाणपत्र देने से इंकार कर दिया है. इसकी वजह बताते हुए सेंसर बोर्ड ने लिखा है कि यह कुछ ज्यादा ही महिला केंद्रित है. फिल्म के यौन दृश्यों और भाषा पर भी बोर्ड ने आपत्ति जताई है.

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा फिल्म के निर्माता प्रकाश झा को एक पत्र भेजा है जिसमें फिल्म को प्रमाणित नहीं किए जाने का कारण लिखा है, 'फिल्म की कहानी महिला केंद्रित है और उनकी जीवन से परे फैंटेसियों पर आधारित है. इसमें यौन दृश्य, अपमानजनक शब्द और अश्लील ऑडियो हैं. यह फिल्म समाज के एक विशेष तबके के प्रति अधिक संवेदनशील है. इसलिए फिल्म को प्रमाणीकरण के लिए अस्वीकृत किया जाता है.'

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