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This Article is From Dec 23, 2011

रिव्यू : 'डॉन-2' को 2.5 स्टार

Mumbai:

'डॉन' का सीक्वल यानी 'डॉन-2' रिलीज हो गया। 5 साल बाद डॉन की निगाहें हैं जर्मनी के डूश सेंट्रल बैंक पर। डॉन यहां करंसी छापने वाली प्रींटिंग प्लेट्स उड़ा लेना चाहता है ताकि नोट लूटने का झंझट ही खत्म हो जाए लेकिन इस राह में कई अड़चने हैं जैसे खून के प्यासे ड्रग डीलर्स और इंटरपोल ऑफिसर रोमा।

शाहरुख जैसा टॉप स्टार, भारी भरकम बजट, मलेशिया बैंकॉक और जमर्नी की खूबसूरत लोकेशन्स विदेशी सड़कों पर टकराती कारें और दुश्मन को फुर्ती से ठिकाने लगाता डॉन इंप्रेसिव है। हालांकि इतना एक्शन और थ्रिल काफी नहीं जिसके चलते फर्स्ट हाफ धीमा लगता है। बीच में ये जिद्दी मगर चालाक डॉन अच्छे डायलॉग्स भी मारता है जैसे मौत तो सबको आनी है लेकिन इस बार जेल जाने में ही मेरा फायदा है, लेकिन फिल्म की कहानी जरा भी हटकर नहीं।

बैंक डकैती पर हॉलीवुड और बॉलीवुड ढेरों फिल्में बन चुकी हैं। सेकेंड हाफ में फिल्म गिरती है जब बैंक डकैती को अंजाम दिया जाता है। इतने बड़े बैंक को लूटना इतना भी आसान नहीं जितना डॉन ने दिखा दिया। बैंक डकैती के वक्त सारा निगोसिएशन डॉन और इंटरपोल ऑफिसर रोमा के बीच होता है। ऐसे में जर्मन पुलिस का रोल क्या है रोमा के लिए डॉन का ऑब्सेशन तो समझ में आता है लेकिन डॉन से भयंकर नफरत करने वाली रोमा डॉन को मारती नहीं उल्टे बचा लेती है भला किसके लिए।

म्यूजिक भी शाहरुख की पिछली डॉन का ज्यादा बेहतर था। मुझे डॉन के रीमेक से ज्यादा उम्मीद 'डॉन-2' से थी क्योंकि 'डॉन-2' की स्क्रिप्ट ओरिजनल है लेकिन ये तो किसी हॉलीवुड फिल्म की कच्ची रीमेक लगती है। एवरेज फिल्म 'डॉन-2' के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार।

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