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This Article is From Jan 10, 2022

Shakambhari Navratri 2022: आज शाकम्भरी नवरात्रि के दिन इस विधि से की जाती है देवी मां की पूजा

मां शाकम्भरी को शाक सब्जियों और वनस्पतियों की देवी भी कहा जाता है. इस उत्सव को शाकम्भरी नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इस साल शाकम्भरी नवरात्र 10 जनवरी यानि आज से शुरू हो रहे हैं, जो पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को समाप्त होंगे.

Shakambhari Navratri 2022: आज शाकम्भरी नवरात्रि के दिन इस विधि से की जाती है देवी मां की पूजा
Shakambhari Navratri 2022: जानिए कौन हैं मां शाकम्भरी, ये है पूजा की विधि
नई दिल्ली:

पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकम्भरी नवरात्रि (Shakambhari Navratri) शुरू हो जाते हैं, जो पौष पूर्णिमा तक चलते हैं. बता दें कि पूर्णिमा का दिन माता शाकम्भरी की जयंती के रूप में मनाया जाता है. उनके अनेक नाम हैं, माता शाकंभरी को देवी वनशंकरी और शताक्षी भी कहा जाता है. देवी भागवत महापुराण में शाकंभरी माता को देवी दुर्गा का ही स्वरूप बताया गया है. इस साल शाकम्भरी नवरात्र 10 जनवरी यानि आज से शुरू हो रहे हैं, जो पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को समाप्त होंगे. मां शाकम्भरी को शाक सब्जियों और वनस्पतियों की देवी भी कहा जाता है. इसे शाकम्भरी नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. वहीं पौष माह की पूर्णिमा तिथि को शाकंभरी पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है. बता दें कि सहारनपुर के शिवालिक क्षेत्र में शाकम्भरी देवी का विशाल मेला भी लगता है. देवी भागवत महापुराण में शाकंभरी माता को देवी दुर्गा का ही स्वरूप बताया गया है.

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कौन है मां शाकम्भरी

देवी भागवत महापुराण में शाकम्भरी माता को देवी दुर्गा का ही स्वरूप बताया गया है. कई जगहों पर माता शाकम्भरी को हरियाली का प्रतीक भी माना जाता है. इन्हें दुर्गा मां का दयालु अवतार भी कहा जाता है. माना जाता है देवी शाकम्भरी शाक सब्जियों और वनस्पतियों की देवी हैं. एक कथा के अनुसार, जब पृथ्वी पर सौ वर्षों तक वर्षा नहीं हुई, तब मनुष्यों को कष्ट उठाते देख मुनियों ने मां से प्रार्थना की. तब शाकम्भरी के रूप में माता ने अपने शरीर से उत्पन्न हुए शाकों के द्वारा ही संसार का भरण-पोषण किया था. इस तरह देवी ने सृष्टि को नष्ट होने से बचाया. इस वजह से शाकम्भरी जयंति के दिन फल फूल और हरी सब्जियों को दान करने का सबसे ज्यादा महत्व है.

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मां शाकम्भरी की पूजा की विधि

  • पौष मास की अष्टमी तिथि को सुबह उठकर स्नान आदि कर लें.
  • सर्वप्रथम भगवान गणेश जी की पूजा करें.
  • अब माता शाकम्भरी का ध्यान करें.
  • लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां की प्रतिमा या तस्वीर रखें,
  • पवित्र गंगाजल का छिड़काव करें.
  • मां के चारों तरफ ताजे फल और मौसमी सब्जियां रखें.
  • माता को प्रसाद में हलवा-पूरी, फल, शाक, सब्जी, मिश्री, मेवे का भोग लगाएं.
  • मां को पवित्र भोजन का प्रसाद चढ़ाएं.
  • मां की स्तुति, ध्यान, जप, पूजा-अर्चना व आरती करें.
  • संभव हो तो माता शाकम्भरी के मंदिर में जाकर सपरिवार दर्शन करें.

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पूजा के समय माता को इन चीजों का लगाएं भोग

  • अन्न.
  • पान.
  • ताजे फल.
  • मौसमी सब्जियां.
  • हलवा-पूरी.
  • शाक-सब्जी.
  • मिश्री-मेवे.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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