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This Article is From Jul 21, 2022

Rudrabhishek in Sawan 2022: सावन में रुद्राभिषेक करने से मिलते हैं ये लाभ! जानें विधि

Rudrabhishek in Sawan 2022: सावन में शिवजी का रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है. रुद्राभिषेक के कई लाभ बताए गए हैं.

Rudrabhishek in Sawan 2022: सावन में रुद्राभिषेक करने से मिलते हैं ये लाभ! जानें विधि
Rudrabhishek in Sawan 2022: सावन में रुद्राभिषेक करने की ये है विधि.

Rudrabhishek in Sawan 2022: भगवान शिव को प्रिय सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू हो चुका है और यह पावन महीना 12 अगस्त 2022 तक चलेगा. हिंदू धर्म में सावन के महीने खास महत्व है. मान्यता है कि सावन (Sawan) में भगवान शिव की पूजा (Shiv Puja) से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते है. इसलिए भक्त सावन सोमवार का व्रत (Sawan somvar Vrat) भी रखते हैं. इसके अलावा सावन में रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि सावन में रुद्राभिषेक (Rudrabhishek in Sawan) करने से कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. साथ ही भगवान शिव की कृपा जीवन में खुशहाली बरकरार रहती है. आइए जानते हैं कि सावन में रुद्राभिषेक करने की सही विधि क्या है और रुद्राभिषेक से क्या-क्या लाभ होते हैं. 

सावन 2022 रुद्राभिषेक की विधि और लाभ | Sawan 2022 Rudrabhishek Method and benefits

धार्मिक मान्यतानुसार, सावन में किसी भी दिन घर या मंदिर में शिव जी का रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) किया जा सकता है. वैसे सावन सोमवार को रुद्राभिषेक करने से अधिक पुण्य प्राप्त होता है.

रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) करने से पहले भगवान गणेश, माता पार्वती, ब्रह्मदेव, मां लक्ष्मी, नवग्रह, पृथ्वी माता, अग्नि देव, सूर्य देव और मां गंगा का ध्यान करना जरूरी होता है. इसके बाद ही रुद्राभिषेक की आरंभ किया जाता है.

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रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) करते समय शिवलिंग उत्तर दिशा में होना शुभ माना जाता है और जो लोग रुद्राभिषेक कर रहे हैं उनका मुंह पूर्व दिशा की तरफ होना अच्छा रहता है.

सावन सोमवार (Sawan Somvar) के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि से निवृत होने के बाद सावन सोमवार व्रत का संकल्‍प लिया जाता है.

इसके बाद श्रृंगी में गंगाजल डालकर शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है. इस दौरान ओम् नम: शिवाय मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र का जाप करना शुभ माना गया है. इसके अलावा शुक्ल यजुर्वेद के रूद्राष्टध्यायी के मंत्रों से भी रूद्राभिषेक किया जाता है. रूद्राष्टध्यायी के पंचम अध्याय से रुद्राभिषेक करना अधिक लाभकारी माना गया है. 

शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करने के बाद दूध, दही, घी, शहद, गन्ने का रस, सरसों का तेल, इत्र भगवान भोलेनाथ को अर्पित करें. रुद्राभिषेक के दौरान शिवमंत्रों का जाप करना चाहिए.

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इसके बाद सफेद चंदन का लेप बनाकर शिवलिंग का श्रृंगार करें. इसके बाद शिव को प्रिय वस्तु पान का पत्ता, अक्षत, अबीर, सुपारी, बेलपत्र, रोली, मौली, भांग, जनेऊ, धतूरा, आक के फूल, भस्म, नारियल आदि उन्हें अर्पित करें और भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाएं.

इसके बाद सपरिवार शिवजी की आरती करें. शिवजी की आरती के बाद अभिषेक के जल का पूरे घर में छिड़काव करें. 

भोलेभंडारी की धूप, दीप से पूजा कर परिवार सहित आरती करें और प्रसाद बांटे. मान्यता है कि शिव के रुदाभिषेक के जल का पूरे घर में छिड़काव करने से रोगों से छुटकारा मिलता है. सावन पर रुद्राभिषेक करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को भी कम किया जा सकता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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