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This Article is From Jun 23, 2018

निर्जला एकादशी 2018: जानें महत्‍व, पूजा विधि, तिथि और व्रत कथा

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi ) के दिन भगवान विष्‍णु का पूजन किया जाता है. इस दिन पानी का त्‍याग किया जाता है और 24 घंटे से भी अधिक अवधि तक व्रत रखा जाता है.

निर्जला एकादशी 2018: जानें महत्‍व, पूजा विधि, तिथि और व्रत कथा
निर्जला एकादशी का सभी 24 एकादशियों में सबसे ज्‍यादा महत्‍व है
नई द‍िल्‍ली: Nirjala Ekadashi (निर्जला एकादशी) : पखवाड़े के ग्यारहवें दिन को एकादशी कहते हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक, साल में 24 एकादशियां पड़ती हैं, मगर निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व है और इसे पवित्र एकादशी माना जाता है. ज्‍येष्‍ठ महीने की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी या भीम एकादशी का व्रत किया जाता है. इस एकादशी का व्रत बिना पानी के रखा जाता है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. यह व्रत बेहद कठिन है क्‍योंकि इसे रखने के नियम काफी सख्‍त हैं. जो इस व्रत को रखता है उसे न सिर्फ भोजन का त्‍याग करना पड़ता है बल्‍कि पानी भी ग्रहण करने की भी मनाही होती है. इस साल यह व्रत 23 जून को है. 

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निर्जला एकदशी का महत्‍व 
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं. सभी एकादशियों में व्रत करने के साथ ही भगवान विष्‍णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इनमें निर्जला एकादशी का सबसे ज्‍यादा महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस एकादशी का व्रत अत्‍यंत लाभकारी है. माना जाता है कि जो लोग सभी एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं उन्‍हें निर्जला एकादशी का व्रत रखना चाहिए. मान्‍यता है कि साल भर की 24 एकादशियों के व्रत का फल केवल एक निर्जला एकादशी का व्रत रखने से मिल जाता है. आपको बता दें कि मलमास या अधिमास होने के कारण इस साल 24 के बजाए कुल 26 एकादशियां हैं.

निर्जला एकादशी की तिथि 
एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 जून 2018
एकादशी तिथि समाप्‍त: 24 जून 2018
पारण करने का समय: 24 जून को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से शाम 04 बजकर 32 मिनट तक.

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निर्जला एकादशी की पूजा विधि 
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु का पूजन किया जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्‍नान का विशेष महत्‍व है. अगर नदी में जाकर स्‍नान न भी कर पाएं तो सुबह-सवेरे घर पर ही स्‍नान करने के बाद 'ऊँ नमो वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए. 24 घंटे तक अन्‍न और जल के बिना रहकर अगले दिन स्‍नान करने के बाद विष्‍णु जी की पूजा करें. फिर ब्राहम्ण को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें. 

निर्जला एकादशी व्रत कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों के दूसरे भाई भीमसेन खाने-पीने के बड़े शौकीन थे. वह अपनी भूख पर नियंत्रण नहीं रख पाते थे. उन्‍हें छोड़कर सभी पांडव और द्रौपदी एकादशी का व्रत किया करते थे. इस बात से भीम बहुत दुखी थे कि वे ही भूख की वजह से व्रत नहीं रख पाते हैं. उन्‍हें लगता था कि ऐसा करके वह भगवान विष्‍णु का निरादर कर रहे हैं.

अपनी इस समस्‍या को लेकर भीम महर्षि व्‍यास के पास गए. तब महर्षि ने भीम से कहा कि वे साल में एक बार निर्जला एकादशी का व्रत रखें. उनका कहना था कि एकमात्र निर्जला एकादशी का व्रत साल की 24 एकादश‍ियों के बराबर है. तभी से इस एकादशी को भीम एकादशी के नाम से जाना जाने लगा.

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