
Muharram 2025: इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम कहलाता है. मुहर्रम के पहले 10 दिन मातम के दिन कहलाते हैं और दसवें दिन पर यौम-ए-अशूरा पड़ता है. यौम ए आशूरा (Youm-e-Ashura) पर ताजिए निकाले जाते हैं, जलूस में मुस्लिम समुदाय शामिल होते हैं, शोक मनाते हैं, इस दिन रोजा रखा जाता है, अल्लाह की इबादत की जाती है और और लोग कुरान पढ़ते हैं. मुहर्रम के पाक माह की शुरुआत 27 जून से हो चुकी है. ऐसे में लोगों के बीच खासा कंफ्यूजन की स्थिति बन रही है कि मुहर्रम का यौम-ए-आशूरा किस दिन पड़ रहा है, 6 या 7 जुलाई. यहां जानिए सही तारीख और यौम-ए-अशूरा का महत्व.
कब है मुहर्रम का यौम-ए-अशूरा | Muharram Youm-e-Ashura Date
चांद के दीदार के बाद इस्लामिक वर्ष की शुरुआत होती है. इस साल 27 जून को इस्लामिक वर्ष शुरू हुआ था यानि इस दिन मुहर्रम का पहला दिन था. मुहर्रम के दसवें दिन (Muharram 10th Day) पर यौम-ए-आशूरा पड़ता है जिस चलते इस साल 6 जुलाई, रविवार को यौम ए आशूरा मनाया जाएगा.
क्या है यौम-ए-आशूराआशूरा का शाब्दिक अर्थ होता है दस और इसी चलते यौम-ए-आशूरा का मतलब होता है दसवां दिन. मुस्लिम समाज के लोग इस दिन हजरत इमाम हुसैन (Hazrat Imam Hussain) की याद में शोक मनाते हैं. इमाम हुसैन हजरत पैगंबर के नवासे थे. हजरत इमाम हुसैन को बादशाह यजीद ने कर्बला के मैदान में कैद कर लिया था जिसके बाद मुहर्रम के पहले नौ दिन वे खुदा की इबादत करते रहे थे और दसवें दिन पर परिवार और अन्य साथियों के साथ उनका कत्ल कर दिया गया था. हजरत इमाम की मौत के मातम के तौर पर ही मुहर्रम को शौक के दिन कहा जाता है.
क्या करते हैं यौम-ए-आशूरा परमुहर्रम के यौम ए आशूरा पर शिया और सुन्नी मुसलिम शोक मनाते हैं. सुन्नी इस दिन रोजा रखते हैं, अल्लाह की इबादत करते हैं और कुरान पढ़ते हैं. वहीं शिया मुसलिम इस दिन ताजिया निकालते हैं और जुलूस में हिस्सा लेते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं