फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष एकादशी और चतुर्दशी दोनों ही बहुत खास होती हैं और लोगों के बीच इनकी खास मान्यता है. दरअसल, हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) मनाई जाती है. वहीं फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri) पड़ती है. इस साल 19 फरवरी को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2020) मनाई जाएगी और फिर इसके बाद 21 फरवरी को महाशिवरात्रि (Maha Shivaratri 2020) का त्योहार आएगा. दोनों ही त्योहारों की हिन्दू पुराणों में अलग-अलग मान्यताएं हैं और कई कारणों से दोनों दिन व्रत रखने का विधान है.
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हिन्दू पुराणों में विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) का व्रत सर्वोत्तम माना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी पापों का नाश होता है और सच्चे मन से विधिपूर्वक व्रत करने वाले व्यक्ति को हर हाल में विजय प्राप्त होती है. कहते हैं कि भगवान राम ने भी लंका विजय के लिए इसी दिन समुद्र किनारे पूजा की थी. मान्यता है कि वकदालभ्य ऋषि ने ही भगवान राम से सेनापतियों के साथ विजया एकादशी का व्रत करने के लिए कहा था. आपको बता दें कि इस एकादशी के दिन सृष्टि के रचयिता श्री हरि विष्णु की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से कई गुना पुण्य मिलता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
वहीं 21 फरवरी को महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) का पर्व मनाया जा रहा है. बता दें, यह साल की आने वाली 12 शिवरात्रियों में से सबसे खास होती है. मान्यता है फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि सबसे बड़ी शिवरात्रि (Shivaratri) होती है. इसी वजह से इसे महाशिवरात्रि कहा गया है. महाशिवरात्रि के दिन ही मंदिरों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, बेलपत्र चढ़ाते हैं और भगवान शिव की विधिवत पूजा करते हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. इसी दिन पहली बार भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने शिवलिंग की पूजा की थी.
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