Kumbh Mela 2019: कुंभ मेला के आयोजन का भव्य इंतजाम किया गया है. प्रशासन काफी मुस्तैदी से इसके आयोजन में लगा हुआ है. कुंभ का शाब्दिक अर्थ है होता है कलश और यहां ‘कलश' का संबंध अमृत कलश से है. ऐसी मान्यता है कि जब देवासुर संग्राम के बाद दोनों पक्ष समुद्र मंथन को राजी हुए थे तब मंदराचल पर्वत इसके लिए मथनी बना था और नाग वासुकी उसकी नेति. मंथन से चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई थी जिन्हें आपस में बांट लिया गया परन्तु जब धन्वन्तरि ने अमृत कलश देवताओं को दे दिया तो फिर युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई.
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बीच में भगवान विष्णु को मोहिनी रूप धारण कर आना पड़ा. देव दानव दोनों इस बात से सहमत हो गए कि मोहिनी अमृत-पान कराएगी. अमृत कलश को सुरक्षित देवलोक पहुंचाने का काम इंद्र के पुत्र जयंत को सौंपा गया. अमृत-कलश को लेकर जब जयंत दानवों से इसकी रक्षा करने के लिए भाग रहा था तभी इसी क्रम में अमृत की बूंदे पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरी.
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चूंकि विष्णु की आज्ञा से सूर्य, चन्द्र, शनि एवं बृहस्पति भी अमृत कलश की रक्षा कर रहे थे और विभिन्न राशियों (सिंह, कुम्भ एवं मेष) में विचरण के कारण ये सभी कुंभ पर्व के सूचक बन गए. इस प्रकार ग्रहों एवं राशियों की सहभागिता के कारण कुंभ पर्व ज्योतिष का पर्व भी बन गया.
जयंत को अमृत कलश को स्वर्ग ले जाने में 12 दिन का समय लगा था. माना जाता है कि देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के बराबर होता है. यही कारण है कि कालान्तर में वर्णित स्थानों पर ही ग्रह-राशियों के विशेष संयोग पर 12 वर्षों में कुम्भ मेले का आयोजन होता है. वहीं, प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) में हर 6 वर्ष में भी कुंभ मेले का आयोजन होता है.
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