Krishna Janmashtami 2021 : जन्माष्टमी के मौके पर भगवान कृष्ण को कई तरह के भोग लगते हैं, पर उनके सबसे प्रिय भोग माखन-मिश्री और पंचामृत माने जाते हैं. सिर्फ श्रीकृष्ण ही नहीं, मान्यता है कि श्री हरि यानि भगवान विष्णु के जितने भी अवतार हैं सभी को पंचामृत का ही भोग लगाया जाता है. पंचामृत के भोग लगाए जाने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं हैं, जिनकी वजह से ये भोग गोपाल के पसंदीदा व्यंजनों में से एक माना जाता है. चलिए जानते हैं क्या है पंचामृत का भोग लगाने का मुख्य कारण और इसकी मूल वजह.
कान्हा को क्यों प्रिय पंचामृत?
कान्हा को दूध और दही हमेशा से प्रिय माना जाता है. इसलिए पंचामृत उनका प्रिय भोग माना गया है, जो गाय के दूध से बनता है. साथ ही इसमें दही भी डलता है. पांच अलग अलग तरह के मेवे डालने से इसका स्वाद भी बढ़ जाता है और शहद इसकी मिठास बढ़ाता है. यही वजह है कि कान्हा को ये प्रसाद हमेशा से प्रिय माना गया है. दूध और दही की अधिकता के चलते ये भोग कान्हा को जरूर से चढ़ाया जाता है.
पंचामृत का महत्व
पंचामृत के महत्व को कई लोग मौसम से जोड़ते हुए इसे प्रसाद के रूप में चढ़ाने की तर्कपूर्ण व्याख्या करते हैं. जन्माष्टमी ऐसे समय पर आती है जब सावन गुजरा ही होता है. तापमान और मौसम में बदलाव के चलते मौसमी बीमारियां लोगों को घेर लेती हैं. ऐसे समय में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पंचामृत उत्तम साधन हो सकता है. इसमें दूध और दही के साथ साथ पांच अलग अलग मेवे होते हैं और साथ में शहद का पोषण भी मिलता है. ऐसे में कई लोगों का मानना है कि कान्हा इस प्रसाद को पसंद कर यही संदेश देते रहे हैं कि शुद्ध खाएं और सेहतमंद रहें और इसी वजह से पंचामृत का भोग उन्हें लगता रहा है. इस अद्भुत पेय के अद्वितीय गुणों को देखते हुए ही इसकी तुलना अमृत से की गई और पांच पदार्थों के मेल से बने इस स्वादिष्ट पेय को पंचामृत का नाम मिला. वैसे इस बात में कोई संदेह नहीं कि दूध, दही और शहद जैसे पौष्टिक और स्वादिष्ट पदार्थों को अमृत तुल्य माना जाता रहा है. पोषण से भरपूर ये पदार्थ स्वास्थवर्धक और और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले हैं.
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