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This Article is From Feb 16, 2017

ये हैं पांचवें महाकुंभ कहे जाने वाले राजिम से जुड़ी 10 बड़ी बातें

ये हैं पांचवें महाकुंभ कहे जाने वाले राजिम से जुड़ी 10 बड़ी बातें
राजिम सोंढूर, पैरी और महानदी के त्रिवेणी संगम-तट पर है. (फाइल फोटो)
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है राज्य का प्रसिद्ध ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान राजिम. माघ महीन की पूर्णिमा से यहां भव्य धार्मिक मेला लगता है. इस वर्ष यह मेला 10 फरवरी से शुरू हुआ जो 24 फरवरी यानी महाशिवरात्रि तक चलेगा.
 
  • राजिम को पद्मवातीपुरी, पंचकोशी, छोटा काशी आदि नामों से भी जाना जाता है. यह स्थान छत्तीसगढ़ में ‘त्रिवेणी संगम’ के लिए प्रसिद्ध है.
  • राजिम सोंढूर, पैरी और महानदी के त्रिवेणी संगम-तट पर है. तीनों नदियों के संगम पर हर वर्ष न जाने कब से आस-पास के लोग 'राजिम कुंभ' मनाते आ रहे हैं.
इस मंदिर में हनुमानजी के पैरों में स्त्री-रूप में बैठे हैं शनिदेव
 
  • छत्तीसगढ़ का धार्मिक प्रतीक महानदी के तट पर बसा राजिम मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. इस साल से राजिम कुंभ में 'कल्प' शब्द जोड़ा गया है अर्थात अब राजिम कुंभ को अब ‘राजिम कल्प' के नाम से जाना जायेगा.
  • तीनों नदियों के संगम पर स्थित होने के कारण राजिम को छत्तीसगढ़ के प्रयागराज भी कहा जाता है.
  • मान्यता के अनुसार, इस नगरी को धार्मिक कार्यों के लिए उतना ही पवित्र है, जितना कि मथुरा, अयोध्या और बनारस.
  • मान्यता के अनुसार, उड़ीसा के जगन्नाथपुरी की यात्रा तब तक संपूर्ण नहीं होती, जब तक यात्री राजिम की यात्रा नहीं कर लेता.
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर दर्शनार्थियों के लिए विशेष पास की व्यवस्था
 
  • छत्तीसगढ़ी की स्थानीय भाषा में पूर्णिमा को 'पुन्नी' कहते हैं. 'राजिम कुंभ' को माघी कुंभ पुन्नी मेला के रूप में मनाया जाता है.
  • प्राचीन काल के चार कुंभ हरिद्वार, नासिक, इलाहाबाद व उज्जैन के बाद पांचवां कुंभ बन गया है. वर्तमान समय में राजिम कुंभ मेले का महत्त्व देश भर में होने लगा है.
  • राजिम में पुरातात्विक खुदाई में देवी लक्ष्मी के चरण चिह्न् मिले हैं. पहली बार लक्ष्मी के चरण चिह्न् मिलने से राजिम क्षेत्र को पौराणिक कथाओं में 'श्री क्षेत्र' कहे जाने की पुष्टि हुई है.
इस मंदिर में भक्तगण रोगमुक्ति के लिए भगवान शिव को चढाते हैं झाड़ू
 
  • छत्तीसगढ़ के प्रयागराज राजिम में ढाई हजार साल पहले बनाया गया एक ऐसा विशाल कुआं मिला है जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि इसके पत्थरों की जुड़ाई आयुर्वेदिक मसालों से की गई है.

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