यदि आप मकान निर्माण के लिए शुभ जमीन यानी प्लॉट देख रहे हैं, तो आपको भारतीय वास्तुशास्त्र की ये बातें जरुर ध्यान में रखनी चाहिए.
- भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार, प्लॉट के चारों कोने 90 डिग्री यानी समकोण पर हों, तो वे प्लॉट शुभ माने गए हैं. आयताकार या वर्गाकार प्लॉट उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ा हुआ हो तो भी ठीक है, लेकिन दक्षिण-पशिम और दक्षिण-पूर्व में बढ़ा हुआ प्लॉट अच्छा नहीं माना गया है.
- जिस प्लॉट को आप देख रहे हैं, वह दो बड़े प्लॉट की बीच स्थित एक छोटा प्लॉट नहीं होना चाहिए. यह आर्थिक समृद्धि के लिए अच्छा नहीं माना गया है.
- प्लॉट के पूर्व, उत्तर और उत्तर पूर्व दिशा में कोई बड़ा या भारी निर्माण न हो, यह ध्यान में अवश्य रखें.
- जिस प्लॉट को आप देख रहे हैं, यदि उसके उतर-पूर्व में कोई पानी का स्थान, जैसे टंकी, तालाब आदि है, तो यह शुभ है, लेकिन दक्षिण-पशिम दिशा में ये अच्छे नहीं माने गए हैं.
- समतल प्लॉट सबसे अच्छा माना गया है.यदि प्लॉट ढलवां है, तो यह ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की और होना चाहिए. दक्षिण या पशिम दिशा वाली ढलान पर मकान नहीं बनवाना चाहिए.
- पूर्वमुखी प्लॉट शिक्षा, धर्म और अध्यात्म के कार्य, पश्चिम मुखी प्लॉट सर्विस करने वाले लोगों, जैसे, इंजीनियर, वकील, डाक्टर के लिए, उत्तर मुखी प्लॉट सरकारी सेवा, पुलिस, सेना में कम करने वालों के लिए और दक्षिण मुखी प्लॉट व्यापारियों और व्यापारिक संस्थानों में कार्य करने के लिए उत्तम होता है.
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