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This Article is From Aug 27, 2019

स्‍वर्ण मंदिर में आज ही के दिन हुई थी गुरु ग्रंथ साहिब की स्‍थापना, जानिए खास बातें

मान्‍यता है कि सिखों के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव ने स्‍वर्ण मंदिर की नींव रखी थी. इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्‍सा सोने का बना हुआ है इसलिए इसे स्‍वर्ण मंदिर कहा जाता है.

स्‍वर्ण मंदिर में आज ही के दिन हुई थी गुरु ग्रंथ साहिब की स्‍थापना, जानिए खास बातें
स्‍वर्ण मंदिर में नसिखों बल्‍कि दूसरे धर्म के लोगों की भी गहरी आस्‍था है
अमृतसर:

प्रत्येक धर्म में ग्रंथों को पवित्रतम स्थान हासिल है. हिन्‍दुओं में गीता, मुसलमानों में कुरान, इसाइयों में बाइबिल की तरह ही सिखों में गुरु ग्रंथ साहिब पूजनीय पवित्र ग्रंथ है. सिख इतिहास में 27 अगस्त का विशेष महत्व है. दरअसल सिखों के लिए सर्वाधिक श्रद्धेय अमृतसर के हरमंदिर साहिब (HARIMANDIR Sahib) में 1604 को 27 अगस्त ही के दिन गुरु ग्रंथ साहिब (Guru GranthSahib) की स्थापना की गई थी. 

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आपको बता दें कि हरमंदिर साहिब सिखों का सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है. इस गुरुद्वारे को 'दरबार साहिब' या 'स्‍वर्ण मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है. वैसे विश्‍व भर में यह स्‍वर्ण मंदिर के नाम से ज्‍यादा मशहूर है. पंजाब के अमृतसर में स्थित इस गुरुद्वारे में मत्‍था टेकने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. यही नहीं विदेशी सैलानियों भी स्‍वर्ण मंदिर में बहुत आस्‍था रखते हैं. 

मान्‍यता है कि सिखों के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव ने स्‍वर्ण मंदिर की नींव रखी थी. इस गुरुद्वारे का बाहरी हिस्‍सा सोने का बना हुआ है इसलिए इसे स्‍वर्ण मंदिर कहा जाता है. स्‍वर्ण मंदिर सरोवर के बीचोंबीच स्थित है और इसके चारों ओर अमृतसर शहर फैला हुआ है. गुरुद्वारे के चारों ओर दरवाजे हैं जो चारों दिशााओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा में खुलते हैं. 

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अमृतसर पहुंचकर लोग सबसे पहले गोल्‍डन टेंपल के दर्शन करने जाते हैं. भीड़ से बचने और दिन की अच्‍छी शुरुआत करने क लिए सुबह के समय गोल्‍डन टेंपल जाना ठीक रहता है. यह जगह ऐसी है जहां पहुंचकर अपको शांति मिलेगी और सारा टेंशन भी भाग जाएगा. खासकर तब जब आप सरोवर के किनारे बैठकर भजन सुनेंगे. दर्शन के बाद कड़ा प्रसाद लेना न भूलें. यहां के लंगर का खाना भी बेहद मशहूर है, जिसमें मां की दाल, रोटी, चावल और खीर परोसी जाती है. एक अनुमान के मुताबिक यहां रोजाना एक लाख लोग खाना खाते हैं. वहीं विशेष अवसरों पर खाने वालों की तादाद लाखों में होती है.  
 

इनपुट: भाषा

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