कोरोनावायरस (Coronavirus) को फैलने से रोकने के लिए लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर मंदिरों को अनिश्चित काल तक बंद किए जाने के चलते जम्मू में फूलों की खेती करने वाले किसानों को जबरदस्त नुकसान होने जा रहा है. इसका कारण यह है कि फूलों की खेती ही उनके लिए आय का मुख्य स्रोत है. किसानों ने सरकार से अपने लिए राहत पैकेज का आग्रह भी किया है.
मंदिरों का शहर जम्मू 22 मार्च से ही बंद है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (बंद) का ऐलान किया था, जिसे बाद में तीन मई तक के लिए बढ़ा दिया गया.
जम्मू से 30 किलोमीटर दूर सुचेतगढ़ सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित कोरटाना गांव के 55 वर्षीय अजित राम ने अपनी लगभग दो एकड़ जमीन पर करीब डेढ़ लाख रुपये निवेश किए थे और उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें इस मौसम में अच्छा मुनाफा मिलेगा.
फूलों से भरे अपने खेत में मायूस खड़े अजित राम ने कहा, "यह मौसम चला गया और हमारे लिए कोई उम्मीद नहीं है.... मैंने कुछ साल पहले फूलों की खेती शुरू की थी और अधिक मांग वाले गेंदे के फूलों की अलग-अलग किस्मों की खेती करने के लिए और जमीन ली थी."
राम जम्मू में रोज तड़के इंदिरा चौक के पास फूल मंडी में अपनी उपज बेचते थे.
उन्होंने कहा कि मंडी बंद है और मंदिरों के बंद रहने की वजह से फूलों को लेने वाला कोई भी नहीं है. इस बार मौसम अनुकूल था और हमें बंपर फसल की उम्मीद थी.
कोरटाना गांव और आसपास के करीब 80 परिवार 250 एकड़ जमीन पर फूलों की खेती करते हैं.
एक अन्य किसान रमेश कुमार ने कहा कि ग्राहक नहीं होने की सूरत में हमारे पास फूलों को खेतों में सड़ने देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है.
उन्होंने सरकार से लॉकडाउन से बुरी तरह से प्रभावित फूलों की खेती करने वाले किसानों के लिए राहत पैकेज की मांग की.
रियासी जिले की त्रिकूट पर्वत के ऊपर प्रसिद्ध वैष्णों देवी का मंदिर है, जो 18 मार्च को बंद कर दिया गया था. इसके अलावा जम्मू में और भी कई प्रसिद्ध मंदिर हैं.
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