रावण ने लक्ष्मण को बताई थीं सफल होने की तीन बातें.
नई दिल्ली:
रावण को महाशक्तिशाली और महान पंडित माना जाता था. भगवान राम भी अच्छे से जानते थे कि उनसे जिसने शिक्षा ली है उसने आगे कमाल किया है. इसीलिए, भगवान राम ने भाई लक्ष्मण से कहा था कि इस संसार से नीति, राजनीति और शक्ति का महान् पंडित विदा ले रहा है, तुम उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता. श्रीराम की बात मानकर लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में पड़े रावण के सिर के नजदीक जाकर खड़े हो गए.
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रावण ने कुछ नहीं कहा तो रामजी ने कहा कि यदि किसी से ज्ञान लेना हो तो उसके चरणों में खड़ा होना चाहिए. तुम जाओ और सिर के पास न खड़े होकर पैरों के पास खड़े हो और कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो कोई नहीं दे सकता. जिसके बाद महापंडित रावण ने लक्ष्मण को सफल रहने के लिए तीन बातें बताई. देखा जाए तो आज ये तीन बातें ऑफिस में काम करने वालों पर बिलकुल सटीक बैठती हैं. जिससे कोई भी सफलता प्राप्त कर सकता है.
1. पहली बात जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वह ये थी कि शुभ कार्य जितनी जल्दी हो कर डालना और अशुभ को जितना टाल सकते हो टाल देना चाहिए यानी शुभस्य शीघ्रम्. मैंने श्रीराम को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देरी कर दी, इसी कारण मेरी यह हालत हुई. ये बात आज ऑफिस वर्कर के लिए बिलकुल सटीक बैठती है. ऑफिस आकर सबसे पहले वो काम करें जिसमें खुद के साथ-साथ दूसरों का भी भला हो. नींद और आलस को टाल देना चाहिए. क्योंकि उससे न खुद का भला होता है और न ही दूसरों का.
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2. दूसरी बात यह कि अपने प्रतिद्वंद्वी, अपने शत्रु को कभी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए, मैं यह भूल कर गया. मैंने जिन्हें साधारण वानर और भालू समझा उन्होंने मेरी पूरी सेना को नष्ट कर दिया. मैंने जब ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मांगा था तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई मेरा वध न कर सके ऐसा कहा था क्योंकि मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था. मेरी मेरी गलती हुई. इस बात को ऑफिस वर्कर को समझना चाहिए कि ऑफिस में किसी को भी छोटा न समझें. किसी को हराना है तो काम से हराएं.
3. रावण ने लक्ष्मण को तीसरी और अंतिम बात ये बताई कि अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना चाहिए. यहां भी मैं चूक गया क्योंकि विभीषण मेरी मृत्यु का राज जानता था. ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी. ठीक वैसे ही ऑफिस में कभी अपने राज किसी को न बताएं. अगर आपका कोई राज जान गया तो बड़े से बड़े काम आपसे करा सकता है.
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रावण ने कुछ नहीं कहा तो रामजी ने कहा कि यदि किसी से ज्ञान लेना हो तो उसके चरणों में खड़ा होना चाहिए. तुम जाओ और सिर के पास न खड़े होकर पैरों के पास खड़े हो और कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो कोई नहीं दे सकता. जिसके बाद महापंडित रावण ने लक्ष्मण को सफल रहने के लिए तीन बातें बताई. देखा जाए तो आज ये तीन बातें ऑफिस में काम करने वालों पर बिलकुल सटीक बैठती हैं. जिससे कोई भी सफलता प्राप्त कर सकता है.
1. पहली बात जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वह ये थी कि शुभ कार्य जितनी जल्दी हो कर डालना और अशुभ को जितना टाल सकते हो टाल देना चाहिए यानी शुभस्य शीघ्रम्. मैंने श्रीराम को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देरी कर दी, इसी कारण मेरी यह हालत हुई. ये बात आज ऑफिस वर्कर के लिए बिलकुल सटीक बैठती है. ऑफिस आकर सबसे पहले वो काम करें जिसमें खुद के साथ-साथ दूसरों का भी भला हो. नींद और आलस को टाल देना चाहिए. क्योंकि उससे न खुद का भला होता है और न ही दूसरों का.
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2. दूसरी बात यह कि अपने प्रतिद्वंद्वी, अपने शत्रु को कभी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए, मैं यह भूल कर गया. मैंने जिन्हें साधारण वानर और भालू समझा उन्होंने मेरी पूरी सेना को नष्ट कर दिया. मैंने जब ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मांगा था तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई मेरा वध न कर सके ऐसा कहा था क्योंकि मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था. मेरी मेरी गलती हुई. इस बात को ऑफिस वर्कर को समझना चाहिए कि ऑफिस में किसी को भी छोटा न समझें. किसी को हराना है तो काम से हराएं.
3. रावण ने लक्ष्मण को तीसरी और अंतिम बात ये बताई कि अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना चाहिए. यहां भी मैं चूक गया क्योंकि विभीषण मेरी मृत्यु का राज जानता था. ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी. ठीक वैसे ही ऑफिस में कभी अपने राज किसी को न बताएं. अगर आपका कोई राज जान गया तो बड़े से बड़े काम आपसे करा सकता है.