नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और अन्य पड़ोसी देशों को न्योता भेजा है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई और श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने समारोह में आने की पुष्टि कर दी है। अब कहा जा रहा है कि इस बारे में शुक्रवार तक फैसला लिया जा सकता है। पहले कहा जा रहा था कि गुरुवार शाम तक इस बारे में कोई औपचारिक घोषणा हो सकती है, लेकिन अब यह फैसला शुक्रवार तक के लिए टाल दिया गया है।
पाकिस्तान ने मोदी के पहल की सराहना करते हुए इसे एक मजबूत कदम बताया है। हालांकि नवाज शरीफ मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आएंगे या नहीं इस बारे में पाकिस्तान की ओर से अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि नवाज शरीफ मोदी का न्योता कबूल कर लेंगे।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, "(नरेंद्र मोदी के) शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जाएंगे या नहीं, इस पर निर्णय आज लिया जाएगा, और आपको बता दिया जाएगा... वह (नवाज़ शरीफ) अपने स्थान पर किसी को भेजने के लिए अधिकृत भी कर सकते हैं... इससे प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं होगा..."
उधर, नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता सिद्दीकी उल फारूक ने एनडीटीवी से कहा कि उम्मीद है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत आने का न्योता कबूल कर लेंगे। दूसरी संभावना यह है कि नवाज खुद न आकर अपना कोई प्रतिनिधि भारत भेजें। इसके पीछे तर्क यह है कि मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान जाने का न्योता स्वीकार नहीं किया था।
सूत्रों के मुताबिक मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन भी समारोह में शामिल हो सकते हैं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जापान के दौरे पर जा रही हैं, लेकिन संभवत: वह स्पीकर को समारोह में सम्मिलित होने के लिए भेजेंगी।
उधर, एनडीए के सहयोगी दल एमडीएमके ने श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को न्योता भेजे जाने का विरोध किया है। एमडीएमके के प्रमुख वाइको ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि इससे तमिल लोगों की भावना को ठेस पहुंचेगा। वाइको ने नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह से श्रीलंका के राष्ट्रपति को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न करने की गुजारिश की है।
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