
आरएसएस के प्रचारक मनोहर लाल खट्टर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरियाणा में बीजेपी की पहली सरकार का नेतृत्व सौंपे जाने से पहले वह चार दशक तक संगठन की जड़ों को मजबूत बनाने के काम में लगे रहे।
सादा जीवन और साफ-सुथरी छवि वाले खट्टर की ख्याति बीजेपी में एक ऐसे व्यक्ति की है, जो हर काम पूरी शिद्दत से करते हैं और उतनी ही कुशलता से करवाते भी हैं। इधर-उधर के मुद्दों में उलझे बिना पर्दे के पीछे से पार्टी की मजबूती के लिए लगातार काम करते रहने वाले खट्टर बीजेपी में अहम पदों पर रहे और अक्सर अपने संगठन कौशल का लोहा मनवाया।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी करीबी उन्हें हरियाणा में सत्ता के शिखर पर पहुंचाने में सहायक मानी जाती है, जो स्वयं भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं। पहली बार विधायक बने खट्टर डॉक्टर बनना चाहते थे। वह हरियाणा के पहले पंजाबी मुख्यमंत्री और 18 वर्ष बाद इस पद पर आसीन होने वाले पहले गैर जाट नेता हैं।
खट्टर अपने राजनीतिक कौशल के लिए मशहूर रहे हैं और उन्होंने अपनी पार्टी के लिए कई चुनाव अभियान की रणनीति तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। खट्टर के राजनीतिक कौशल का ताजा उदाहरण 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी हरियाणा में देखने को मिला था, जब उन्होंने चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया था।
मनोहर लाल खट्टर ने 1996 में हरियाणा में सक्रिय रूप से काम करने के दौरान पहली बार मोदी के साथ काम किया, उस समय हरियाणा के प्रभारी थे। 2002 में मनोहर लाल को जम्मू-कश्मीर के प्रदेश चुनाव का प्रभार दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव का प्रचार 4 अक्टूबर को करनाल से शुरू किया और इसी सीट से खट्टर ने जबर्दस्त जीत दर्ज कर विधानसभा तक का रास्ता बनाया।
सामान्य कृषक पृष्ठभूमि से आने वाले मनोहर लाल खट्टर का परिवार विभाजन के बाद पाकिस्तान से हरियाणा आया था और रोहतक जिले के निंदाना गांव में बस गया। आजीविका चलाने के लिए उनके पिता और दादा ने मजदूरी की और इससे जमा की गई रकम से एक छोटी सी दुकान खोली। निंदाना गांव में ही 1954 में मनोहर लाल का जन्म हुआ।
साल 1980 में आरएसएस में पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में शामिल होने से पहले खट्टर ने दिल्ली के सदर बाजार में एक दुकान चलाई और अपने परिवार का पालन-पोषण किया। स्कूल में खट्टर सभी गतिविधियों में आगे रहे और लिखाई पढ़ाई में भी आगे रहे। वह डॉक्टर बनना चाहते थे और अपने पिता के विरोध के बावजूद कॉलेजों में इसके लिए आवेदन भी किया।
हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वह परिवार के अन्य सदस्यों की तरह खेतीबाड़ी करें। उन्होंने अपनी मां से कुछ पैसा लिया और रोहतक स्थित नेकी राम शर्मा सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया। वह दसवीं कक्षा से आगे पढ़ाई करने वाले परिवार के पहले सदस्य बने।
मेडिकल कॉलेज में दाखिले की परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख करने वाले मनोहर लाल ने दिल्ली जाकर वहां के सदर बाजार में दुकान खोलने का इरादा किया और इस मकसद के लिए परिवार से पैसा लिया। उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छा शक्ति रंग लाई और खट्टर ने न सिर्फ अपने माता-पिता का पैसा लौटाया, बल्कि अपनी छोटी बहन की शादी कराई और अपने दो भाई बहन को दिल्ली अपने पास बुला लिया।
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि ली और इस दौरान अपने कारोबार को भी आगे बढ़ाया। 14 वर्ष तक संघ में योगदान देने के बाद वे बीजेपी में चले आए और 1994 में हरियाणा में पार्टी महासचिव बनाए गए। 1996 में बीजेपी ने बंसीलाल के नेतृत्व वाली हरियाणा विकास पार्टी को राज्य में सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया। बाद में जब उन्होंने पाया कि गठबंधन पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है और सरकार अलोकप्रिय हो रही है, तो उन्होंने समर्थन वापसी पर जोर दिया। हरियाणा विकास पार्टी का बाद में कांग्रेस में विलय हो गया था।
बीजेपी ने इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला को बाहर से समर्थन देने का निर्णय किया। बाद में इनेलो के साथ इस गठबंधन ने 1999 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी 10 सीटें जीत लीं। हालांकि 1998 में गठबंधन को दो सीटें ही मिली थीं।
पार्टी महासचिव के रूप में खट्टर की छवि एक योग्य और सख्त प्रशासक एवं एक ऐसे रणनीतिकार की बनी, जो राज्य की सियासत की एक-एक रग पहचानता था। गुजरात में भुज में आए भूकंप के बाद खट्टर को मोदी ने कच्छ जिले में चुनाव के प्रबंधन के लिए बुलाया था और यहां बीजेपी को छह में तीन सीटें मिलीं। हाल के लोकसभा चुनाव में खट्टर को मोदी की सीट वाराणसी के 50 वार्डों का प्रभारी बनाया गया था।
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