कांग्रेस ने रॉबर्ट वाड्रा की कथित संलिप्तता वाले भूमि सौदे के मुद्दे को उठाए जाने को लेकर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि वह हर चीज को सनसनीखेज बनाना और राजनीतिक रंग देना चाहते हैं।
उन्होंने 3 अक्तूबर को लोगों से 'मन की बात' करने के लिए आकाशवाणी का इस्तेमाल किए जाने को लेकर मोदी पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया।
कांग्रेस प्रवक्ता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कहा, 'मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि हरियाणा सरकार और प्रशासन कानूनों, आचार संहिता तथा इस बात भली-भांति वाकिफ है कि किस चीज की इजाजत है और किस चीज की नहीं। मोदी हर चीज को सनसनीखेज बनाने और राजनीतिक रंग देना चाहते हैं।'
दरअसल, वह हिसार में मोदी के उस बयान पर जवाब दे रहे थे जिसके तहत प्रधानमंत्री ने भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच भूमि सौदे को मंजूरी दिए जाने पर चुनाव आयोग से संज्ञान लेने को कहा था।
उन्होंने आरोप लगाया था कि इसे आनन-फानन में किया गया क्योंकि कांग्रेस 15 अक्तूबर के चुनाव में निश्चित रूप से हार का सामना करने वाली है।
शर्मा ने कहा कि हुड्डा और उनके मित्रमंडलीय सहकर्मी कानून से वाकिफ हैं और मोदी को माकूल जवाब देंगे।
शर्मा ने मोदी पर 3 अक्तूबर को 'मन की बात' करने के लिए आकाशवाणी का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।
पूर्व वाणिज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद 3 अक्तूबर को लोगों से संवाद करने के लिए आकाशवाणी को चुना जबकि महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव हो रहे हैं। शर्मा ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भाषण का 3 अक्तूबर को दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण किए जाने का मुद्दा भी उठाया।
उन्होंने कहा कि ठीक उसी दिन एक और उल्लंघन हुआ, जब आरएसएस के नेता मोहन भागवत का भाषण उस दिन दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया। मैंने नरेन्द्र मोदी और उनके सहकर्मियों या चुनाव आयोग से इस विषय पर कुछ नहीं सुना।
उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ सत्ता का मद या सत्ता का केंद्रीकरण नहीं है, बल्कि संतुलन की भावना गुम हो गई है।' अंतरराष्ट्रीय सीमा और जम्मू एवं पुंछ सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम का उल्लंघन किए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र के लिए एक बड़ी चिंता का सबब है। उन्होंने केंद्र से पाकिस्तान और चीन के प्रति एक प्रभावी रुख की मांग की।
उन्होंने यह भी कहा, 'यह चिंता की बात है कि भारत के पास एक पार्टटाइम रक्षामंत्री है और ऐसा पहली बार है कि भारत के पास रक्षामंत्री नहीं है। अरुण जेटली, उनका मैं आदर करता हूं, वह भारत के वित्तमंत्री हैं और उनके पास अतिरिक्त प्रभार भी है।'
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