झारखंड में चौथे चरण के लिए प्रचार शुक्रवार को थम जाएगा। अभी तक की तीन चरणों में हुए मतदान में सब दल और राजनेता मान रहे हैं कि भाजपा को बढ़त है।
जानकारों का मानना है कि भाजपा को मिल रही बढ़त झारखंड के गठन के 14 वर्षों में भाजपा के नौ वर्षों के शासन काल का नतीजा नहीं है बल्कि लोकसभा चुनाव में चली नरेंद्र मोदी की हवा अब भी बरकरार है।
कहा यह भी जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का चुनावी प्रबंधन भी भाजपा की इस लहर का एक कारण है। यही वजह है कि भाजपा उम्मीदवार चुनाव में अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे हैं।
सवाल यह है कि आखिर अमित शाह और नरेंद्र मोदी की क्या मजबूरी है कि एक नई कई दागियों को पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा है। पार्टी की सबसे ज्यादा किरकिरी धनबाद के बागमारा सीट से ढुल्लू महतो को टिकट देने के लेकर हुई है।
ढुल्ले के खिलाफ आधे दर्जन से अधिक आपराधिक मामले हैं। उन्होंने टाइगर फोर्स बनाकर रंगदारी, डराने धमकाने को अपने क्षेत्र में रोजमर्रा का काम बना दिया। सब मान कर चल रहे हैं कि अगर बीजेपी सरकार बनाती है तब ढुल्लू स्थानीय लोगों को ढुल्लू का आंतक पांच साल झेलना पड़ेगा।
ऐसे दागी नेता ढुल्लू अकेले नहीं है, डुमरी सीट से लालचंद महतो जिनकी छवि एक दबंग नेता के रूप में रही है। लालचंद 2000-05 में जब एनडीए की सरकार में ऊर्जा मंत्री थे, तब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। अब लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि भाजपा उनको टिकट देकर क्या संदेश देना चाहती है।
इसके अलावा सराईकेला से गणेश महाली को उम्मीदवार बनाए जाने से भी लोगों को निराशा हाथ लगी। महाली का रिकॉर्ड भी आम लोगों के लिए खासकर व्यापारी लोगों के लिए एक काला अध्याय रहा है। गणेश पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के करीबी रहे हैं। बीजेपी के जानकार मानते हैं कि अमित शाह के प्रबंधन में उम्मीदवार के पर्व के इतिहास को उस समय नजरअंदाज कर दिया जाता है जब कमल के निशान के साथ उम्मीदवार की दबंगई जीत का फार्मूला बन जाए। इसलिए मोदी के प्रभाव के बावजूद सीटों को जीतने के लिए और बहुमत जुटाने के लिए पार्टी ने झारखंड में दबंगों से दोस्ती करने में कोई परहेज नहीं दिखाया।
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