कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आगामी लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री बनने की पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की पुरजोर मांग के बीच बुधवार को कहा कि चुनाव के बाद कांग्रेस के सत्ता में आने पर अगर सांसद उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए चुनते हैं, तो वह इस पर जरूर विचार करेंगे।
राहुल ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अमेठी के दौरे के दूसरे और अंतिम दिन संवाददाताओं से बातचीत में एक सवाल पर कहा, कांग्रेस में प्रधानमंत्री का चुनाव निर्वाचित सांसद करते हैं और हम चुनाव लड़ेंगे। अगर चुनाव बाद हमारी सरकार आती है और सांसद मुझे चुनते हैं, तो जरूर सोचूंगा। उनसे पूछा गया था कि अमेठी और कांग्रेस के लोग उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, तो क्या वह यह जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार होंगे।
राहुल ने कहा कि मनमोहन सिंह को भी हमारे चुने हुए सांसदों ने प्रधानमंत्री चुना था। कांग्रेस में पहले से ही प्रधानमंत्री पद का दावेदार चुनने की व्यवस्था नहीं है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं, बल्कि व्यक्तिवाद की व्यवस्था है। प्रधानमंत्री चुनना सांसदों का अधिकार है और यह उनके पास रहना चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस को भी तो सिर्फ गांधी परिवार चलाता है, उन्होंने कहा कि कांग्रेस को 10, जनपथ नहीं चलाता है, कांग्रेस में सबसे ज्यादा लोकतंत्र है। हमारी जिंदगी का लक्ष्य यही है, जब लाखों लोग प्रत्याशी चुनें, परिवार और व्यक्ति का दखल न हो। मैं पांच वर्षों में इसे लागू करके रहूंगा।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र मजबूत नहीं है, बिना जनता को जोड़े न तो लोकतंत्र मजबूत होगा और न ही विकास होगा। मैं दावे से कहता हूं कि इस प्रदेश में कांग्रेस की सरकार लाकर रहूंगा। यह पूछे जाने पर कि आप राज्य सरकार पर आरोप लगाते हैं, लेकिन उसका विरोध नहीं करते, इसका सीधा जवाब देने से बचते हुए राहुल ने कहा कि हाल में हमारी पार्टी ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री को भी पुलिस की लाठियां सहनी पड़ीं। कांग्रेस में गुटबाजी और खींचतान के सवाल पर पार्टी उपाध्यक्ष ने कहा कि राजनीतिक दलों में झगड़े होते रहते हैं और होते रहेंगे।
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