वाराणसी:
वाराणसी जिले के बाहरी इलाके में जनसभा को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के भाषण के मुख्य बिंदु -
- यहां शासक बनकर नहीं, सेवक बनकर आया हूं
- हमने साबरमती का रूप बदल दिया, हम गंगा का रूप भी बदल सकते हैं
- संभवतः मेरा आप लोगों से पुराना रिश्ता है, जो मुझे यहां ले आया है
- विकास के अलावा मेरा कोई एजेंडा नहीं है
- देश का पश्चिमी हिस्सा आर्थिक रूप से समृद्ध है, लेकिन पूर्वी क्षेत्र तुलनात्मक रूप से कमज़ोर है... काशी, रांची, कोलकाता और भुवनेश्वर भी विकसित क्यों नहीं हो सकते...?
- मैं आप लोगों के लिए संघर्ष करने और आपकी स्थिति में बदलाव लाने के लिए आया हूं
- आपकी सेवा करने के लिए मुझे एक मौका चाहिए
- मुझे गाली देने वालों और झूठे आरोप लगाने वालों के बारे में बात करके गंवाने के लिए मेरे पास समय नहीं है
- क्या हम वाराणसी की शान को लौटा नहीं ला सकते...? मैं पंडित मदन मोहन मालवीय के सपनों को साकार करना चाहता हूं
- सूरत में मौजूद कपड़ा उद्योग वाराणसी से आए लोगों ने ही स्थापित किया है... यहां के जुलाहे वहां गए, और स्थानीय लोगों को सिखाया... सूरत में आज भी बनारस मोहल्ला है...
- मैं चाहता हूं कि बनारस के जुलाहों को सर्वश्रेष्ठ अवसर हासिल हों... अगर हम अच्छी ब्रान्डिंग और मार्केटिंग कर सकें, अगर हम अच्छी क्वालिटी पर ध्यान दें, हम वाराणसी के हैण्डलूम उद्योग को भी आधुनिक बना पाने में कामयाब होंगे...
- (नरेंद्र मोदी ने गुजरात के पतंग उद्योग का उदाहरण देते हुए कहा...) मैं उन लोगों के साथ पूरे दिन बैठा, और छोटे से छोटे पहलू पर चर्चा की... नतीजा क्या रहा...? जो व्यवसाय 35 करोड़ रुपये का था, वह आज बढ़कर 700 करोड़ रुपये का हो गया है... अगर इस तरह पतंग उद्योग का स्वरूप बदल सकता है तो वाराणसी के हैण्डलूम और हैण्डीक्राफ्ट उद्योग का भी बदल सकता है, जो दुनियाभर में मशहूर है...
- अगर लोग शेक्सपियर को देखने के लिए यूरोप जा सकते हैं, तो वे तुलसीदास, कबीर और रहीम को देखने के लिए यहां क्यों नहीं आ सकते...?
- मैं काशी को पर्यटन का केंद्र बनाना चाहता हूं... मैं एक ऐसा वातावरण बनाना चाहता हूं, जहां लोग यह सोचें कि जब तक वह इस पावन आध्यात्मिक धरती पर नहीं आएंगे, उनका जीवन संपूर्ण नहीं होगा...
- हम गुजरात का विज्ञापन करने के लिए अमिताभ बच्चन को लाए, और लोग वहां रेगिस्तान की रेत देखने भी आते हैं...
- अगर हम रेत देखने के लिए लोगों को ला सकते हैं, तो इस धरती (वाराणसी) का तो हज़ारों साल पुराना इतिहास है...
- उन्होंने कारगिल के शहीदों की विधवाओं के लिए मुंबई में मकान बनाए, लेकिन उनके नेताओं ने वे भी लूट लिए... किसी ने अपनी सास को मकान दे दिया, किसी ने अपनी पत्नी को... क्या इसी तरह आप 'जय जवान' कहते हैं...? और पिछले 10 सालों में दो लाख से भी ज़्यादा किसानों ने आत्महत्याएं कीं - और यह संख्या अब तक सभी युद्धों और आतंकवाद की वारदातों में शहीद हुए हमारे जवानों से ज़्यादा है... इस 'मां-बेटे की सरकार' का एक ही उद्देश्य है - 'मर जवान, मर किसान...' (इसके साथ ही नरेंद्र मोदी ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि कैसे वह न्यूनतम समर्थन मूल्य में से लागत को घटाकर किसानों का मुनाफा 50 फीसदी बढ़ाएंगे...)
- आप मुझे मजबूत सरकार दो, मैं आपको मजबूत देश दूंगा...
- उत्तर प्रदेश से सभी 'कमल' (बीजेपी प्रत्याशी) भेजिए, मैं आपको आश्वासन देता हूं, एक मजबूत सरकार दूंगा...
- कांग्रेस को समझना होगा, जनता ने आपको हरा दिया है, और अब निर्वाचन आयोग आपको जिता नहीं सकता...
- "दिल्ली के शहंशाह, कान खोलकर सुन लो... मैं सारे अत्याचार सहन करूंगा, पर देश की जनता कभी आपको माफ नहीं करेगी... आपने 14 साल तक मुझे प्रताड़ित किया, जेल भेजने और सीबीआई की धमकियां दीं, लेकिन मोदी आज भी जनता के साथ रहता है..."
- "क्या यह 'मां-बेटे की सरकार' एक व्यक्ति की सुरक्षा नहीं कर सकती...? और वैसे भी मैं तो देश के लिए मरने को तैयार हूं, सो, आप मुझे क्यों रोक रहे हो...?"
- "क्या यह मेरे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं है...? क्या मुझे बाकी सभी प्रत्याशियों के समान अवसर नहीं मिलने चाहिए...?"
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