मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अनुरोध किया कि वह उन विधेयकों को मंजूरी न दें जिन पर मंत्रिमंडल राजनीतिक लाभ के लिए अध्यादेश पारित कर सकता है। उन्होंने कहा कि अध्यादेश लाना लोकतंत्र विरोधी और पक्षपातपूर्ण कवायद है।
माकपा महासचिव प्रकाश करात ने राष्ट्रपति से कहा, 'केंद्रीय मंत्रिमंडल उन विधेयकों पर विचार कर रहा है, जिसे हाल में संपन्न हुए संसदीय सत्र में पेश नहीं किया जा सका।' उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक से संबंधित संशोधन भी पेश कर सकता है जिसको राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है।
करात ने कहा, 'अगर यह सच है, तो बेहद हैरानी वाली खबर है और इसने संसद का मजाक बना दिया है। नए राज्य का गठन गंभीर मसला है और यह गंभीर परिणाम लाएगा और इस पर संकीर्ण राजनीतिक हितों का खेल नहीं खेला जा सकता।'
करात ने कहा, 'सरकार इस पर चर्चा और इसे अंगीकार करने के लिए सत्र की अवधि आसानी से बढ़ा सकती थी।' उन्होंने कहा कि संसद सत्र के समाप्त हो जाने और चुनाव तारीखों की घोषणा के वक्त सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक लाभ के लिए अध्यादेशों को लागू करना, लोकतंत्र विरोधी और पक्षपाती रवैया होगा।
करात ने कहा, 'राष्ट्रपति के पास लोकतांत्रिक और संवैधानिक प्रक्रियाओं के साथ काम करने का लंबा अनुभव रहा है, मुझे उम्मीद है वह किसी अदूरदर्शिता और पक्षपाती उपाय का समर्थन नहीं करेंगे, जो संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाएगा।' लोकसभा का सत्र पिछले महीने अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। यह 15वीं लोकसभा का आखिरी सत्र था।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं