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This Article is From Oct 09, 2014

ओम प्रकाश चौटाला की अंतरिम जमानत रद्द कराने अदालत पहुंची सीबीआई

ओम प्रकाश चौटाला की अंतरिम जमानत रद्द कराने अदालत पहुंची सीबीआई
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

सीबीआई ने आज दिल्ली हाईकोर्ट से जेबीटी अध्यापक भर्ती घोटाला मामले में जमानत शर्तों के उल्लंघन के कारण हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की अंतरिम जमानत रद्द किए जाने की अपील की।

जांच एजेंसी के अधिवक्ता ने न्यायाधीश बीडी अहमद और न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल की पीठ के समक्ष इस संबंध में आवेदन पेश किया और इस पर तत्काल सुनवाई की अपील की। आवेदन में कहा गया है कि चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत हासिल करने वाले इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता जमानत शर्तों का उल्लंघन करते हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे हैं।

सीबीआई यह भी चाहती है कि चौटाला की समर्पण की तारीख को 17 अक्तूबर से पहले कर दिया जाए।

जेबीटी अध्यापक भर्ती घोटाला मामले में दोषी साबित होने के बाद दस साल की सजा पाए पूर्व मुख्यमंत्री ने 26 सितंबर को स्वैच्छिक रूप से समर्पण की इच्छा जताई थी, जिसके बाद अदालत ने 17 अक्तूबर की तारीख तय की।

सीबीआई की अपील पर अदालत ने कहा कि पहले ही इसी प्रकार के आवेदन पर नोटिस जारी किया जा चुका है ।

सीबीआई के अधिवक्ता ने जवाब में कहा, वह आवेदन किसी तीसरे पक्ष द्वारा दाखिल किया गया था। इस पर अदालत ने कहा, तब इस पर आज ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

सीबीआई ने नए सिरे से दाखिल किए गए अपने आवेदन में गुड़गांव स्थित मेदांता हॉस्पिटल को यह ब्योरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिए जाने की भी अपील की है कि ‘बीमार’ चौटाला को कैसे चुनाव प्रचार में भाग लेने की अनुमति दी गई। याचिकाकर्ता का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता विवेक तंखा की दलील के बाद पूर्व में उच्च न्यायालय ने सीबीआई और इनेलो नेता को नोटिस जारी किए थे। तंखा ने अदालत से कहा था कि चौटाला की मंशा उन्हें समर्पण के लिए दी गई 17 दिनों की छूट अवधि का दुरुपयोग इस अवधि में चुनाव प्रचार की योजना बनाने में किए जाने की है।

तंखा ने यह भी कहा था कि चौटाला ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में अपने दौरों का कार्यक्रम जारी किया है, जो समाचार रिपोर्टों में प्रकाशित हुआ है।

25 सितंबर को हरियाणा के जींद में एक रैली को चौटाला द्वारा संबोधित किए जाने के मद्देनजर उन्हें अस्पताल में रखे जाने की जरूरत पर राय जानने के लिए अदालत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों का एक मेडिकल बोर्ड गठित करने ही वाली थी कि चौटाला ने समर्पण की इच्छा जताई थी। याचिका में कहा गया था कि इनेलो नेता समर्पण से पूर्व बीच की अवधि का इस्तेमाल ‘‘हरियाणा में सघन चुनाव प्रचार में करना चाहते हैं।’’ इसमें यह भी कहा गया था कि चौटाला अदालत के आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं और कानून की प्रक्रिया का दुरूपयोग करते हुए अदालत को हल्के में ले रहे हैं।

इसमें कहा गया कि चौटाला को 21 मई 2013 को चिकित्सा आधार पर जमानत प्रदान की गई थी और उसके बाद से ही वह अवधि को इसी आधार पर बढ़वाते हुए बाहर हैं।

11 जुलाई 2014 को उच्च न्यायालय ने जेबीटी भर्ती घोटाला मामले में चौटाला समेत 55 दोषियों की अपीलों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

विशेष सीबीआई अदालत ने वर्ष 2000 में 3206 जूनियर अध्यापकों की गैर कानूनी भर्ती करने के मामले में 22 जनवरी 2013 को चौटाला, उनके पुत्र अजय चौटाला तथा आठ अन्य को दोषी ठहराया था और प्रत्येक को दस दस साल की सजा सुनाई थी। दोषी ठहराए गए अन्य लोगों में 44 को चार चार साल की सजा तथा एक को पांच साल की सजा सुनायी गई थी।

इन सभी को धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े, फर्जी दस्तावेजों का मूल दस्तावेजों के रूप में इस्तेमाल करने, भारतीय दंड संहिता के तहत षडयंत्र तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया था।

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