महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है, लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर शिवसेना और बीजेपी गठबंधन में तनाव बरकरार है। महाराष्ट्र बीजेपी प्रवक्ता ने तो यहां तक कह दिया कि दोनों दलों में बातचीत बंद है।
मुंबई स्थित महाराष्ट्र बीजेपी मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता माधव भंडारी ने कहा 'हमारे सर्वोच्च नेता के अपमान से कार्यकर्ता खफा हैं, इन टिप्पणियों का मकसद नरेन्द्र मोदी को नीचा दिखाना था। महाराष्ट्र भाजपा ने उनकी टिप्पणियों की कठोरता से आलोचना और निंदा की है। हमारे कार्यकर्ता दोनों दलों के बीच बातचीत रोकने और अपनी खुद की राह तलाशने के लिए नेतृत्व पर जोर दे रहे हैं और दबाव डाल रहे हैं। फिलहाल दोनों दलों में बातचीत बंद है।'
यही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि कार्यकर्ता सभी वार्ताएं खत्म होती देखना चाहते हैं। और नेतृत्व आखिर में अपने जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की सुनता है, क्योंकि वही जमीनी स्तर पर सारे काम करते हैं।
बीजेपी शिवसेना से नाराज़ है, पहली नाराज़गी शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे लेख से पैदा हुई, जिसमें लिखा गया था 'गठबंधन को सत्ता में लाना सभी घटक दलों का सपना होना चाहिए, ज्यादा सीटों की ललक सबको छोड़नी होगी, इतना मिला तो ही गठबंधन में रहेंगे, नहीं तो अपना रास्ता, ये ठीक नहीं है। याद रखिए ज्यादा लालच तलाक की ओर ले जाता है।'
फिर दूसरे हमले में उद्धव ठाकरे ने एक टेलीविजन कार्यक्रम में कहा था कि मोदी लहर कई राज्यों में असर दिखाने में असफल रही और हाल के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत का श्रेय केवल मोदी को नहीं, बल्कि उनके गठबंधन सहयोगियों को भी दिया जाना चाहिए। यही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि अगर पार्टी सत्ता में आई और उन्हें सीएम बनने को कहा गया तो वह ज़िम्मेदारी उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
हालांकि बीजेपी के आक्रामक रुख के बाद शिवसेना के तेवर थोड़े ढीले हुए हैं, पार्टी ने सीएम पद पर तो दावा बरकरार रखा है, लेकिन शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि बीजेपी और शिवसेना में किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं है। लोकसभा चुनाव में कुछ छोटी पार्टियों ने हमें सहयोग दिया था, इसलिए उन्हें भी कुछ सीटें दी जाएगी। शिवसेना 25 सालों से बीजेपी के साथ है और आगे भी साथ रहेगी।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजीव प्रताप रूडी ने भी पुणे में कहा कि 'पार्टी अध्यक्ष अमित शाह उद्धव ठाकरे से मिले थे, उन्होंने सीटों के बंटवारे पर अपना प्रस्ताव दिया है, अब उन्हें शिवसेना के जवाब का इंतज़ार है।'
महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं, 2009 में शिवसेना 169 सीटों पर लड़ी थी, उसे जीत मिली थी 44 सीटों पर, बीजेपी 119 सीटों पर लड़कर बीजेपी 46 सीटें जीतकर लाई थी। अब बीजेपी सीटों में शिवसेना से बराबरी चाहती है। बंटवारे नहीं होने से आरपीआई अठावले, स्वाभिमानी शेतकरी संगठन, राष्ट्रीय समाज पक्ष भी नाराज बैठे हैं। चुनाव होने में महीने भर से भी कम वक्त बचा है, ऐसे में ये नाराजगी गठबंधन पर भारी ना पड़ जाए।
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