देश में चुनावी माहौल इतना गर्म है कि दिन-ब-दिन तमाम दलों के नेताओं द्वारा विरोधी पक्ष के नेताओं पर टिप्पणियां सीमाएं लांघ रही हैं। ऐसे में केंद्रीय मंत्री और कांग्रेसी नेता मनीष तिवारी ने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी से बिना शर्त माफी मांगी है। यह माफी कानूनी कार्रवाई के दबाव के चलते ही मांगनी पड़ी है।
गौरतलब है कि नितिन गडकरी ने मनीष तिवारी के खिलाफ तब मानहानि का मुकदमा दायर किया था जब तिवारी ने उनपर आदर्श घोटाले मामले में सोसाइटी में बेनामी संपत्ति होने का दावा किया था।
अपने लिखित जवाब में तिवारी ने कहा, ''मैं समझता हूं कि इस तरह के बयान से आपकी बहुत बड़ी मानहानि हुई है और आप को अपनी पार्टी तथा समाज में असहज परिस्थिति का सामना करना पड़ा। इसलिए मैं आपसे बिना शर्त माफी मांगता हूं।'' इस लिखित माफीनामे के बाद गडकरी ने तिवारी के खिलाफ दायर अपना मुकदमा वापस ले लिया है।
आदर्श घोटाले के लिए बनाए गए जांच आयोग की रिपोर्ट पर मीडिया में छपी खबरों का हवाला देते हुए खत में यह भी लिखा गया है कि इस घोटाले में गडकरी की कोई भूमिका नहीं थी और न ही कोई नाता था।
2010 में इन आरोपों के लगने के बाद तब भाजपा अध्यक्ष का पद संभाल रहे नितिन गडकरी ने कोर्ट में मुकदमा दायर किया था और कहा था कि यह सारे आरोप निराधार हैं।
उल्लेखनीय है कि नितिन गडकरी पर आरोप लगाते हुए तिवारी ने कहा था कि मुंबई की आदर्श सोसाइटी में गडकरी ने अपने ड्राइवर और व्यापारी मित्र अजय संचेती के नाम पर फ्लैट लिए हैं।
बता दें कि दक्षिणी मुंबई के कोलाबा में आदर्श हाउसिंग सोसाइटी बनी है। यह सोसाइटी कारगिल में शहीद हुए सेना के लोगों के परिजनों के लिए बनी थी। लेकिन, इस सोसाइटी में राजनेताओं, सेना के अधिकारियों और नौकरशाहों ने तमाम फ्लैट खरीद लिये।
वहीं, इस पूरे मामले में जांच आयोग ने राज्य की कांग्रेस सरकार को भले ही पूरी तरह क्लीनचिट दे दी हो, लेकिन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता अशोक चव्हाण का नाम इंगित किया था।
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