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This Article is From Jul 02, 2018

दिल्‍ली में प्रदूषण के मामले में SC ने सरकार से पूछा, बसें क्यों नहीं खरीदी जा रही है?

दिल्ली में प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि ग्रीन बजट पर कितना खर्चा किया, बसों को क्यों नहीं खरीदी जा रही है?

दिल्‍ली में प्रदूषण के मामले में SC ने सरकार से पूछा, बसें क्यों नहीं खरीदी जा रही है?
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि ग्रीन बजट पर कितना खर्चा किया, बसों को क्यों नहीं खरीदी जा रही है? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने को कहा है कि वो कब तक इलेक्ट्रिक बसें खरीदेगी और जगह-जगह पर चार्जिंग स्टेशन लगाएगी. ये भी आरोप लगाया गया कि जो पैसे सरकार को बसें खरीदने के लिए दिए गए, वो लैप्स हो गए. सरकार ने कोई मिनी बस नहीं खरीदनी है, बड़ी बसें खरीदनी है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कितना समय लगेगा और कहा टाटा खुद हाइब्रिड बसे बना रही है और ये सिटी में  चलने के लिए अच्छी है और इसकी रनिंग कॉस्ट भी कम है. आखिरकार बसों के लिए दिए अनुदान का क्या हुआ? 

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार सभी बिंदुओं पर दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. दरअसल दिल्ली सरकार ने ग्रीन सेस से 999.25 करोड़ रुपये इकट्ठा किए हैं. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली आने ट्रकों से ग्रीन सेस के तौर पर 999.25 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं. हलफनामे में कहा गया है कि इस रकम को दिल्ली के पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए किया जाएगा. इस रकम से दिल्ली में 1000 लो-फ्लोर इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जाएंगी. इससे दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जीरो एमिशन बनाने में मदद मिलेगी.  

सरकार ने ये भी कहा है कि ग्रीन सेस को दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सुदृढ़ बनाने में किया जाएगा, जिससे मध्यम वर्ग और निम्म मध्यम वर्ग जो कामकाजी है और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं इससे मदद मिलेगी. इससे प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि क्या वो दिल्ली में प्रदूषण को मापने के लिए रिमोट सेंसिंग मशीन खरीद सकता है? अमिक्स क्यूरी अपराजिता सिंह ने बताया था कि हॉंगकांग और चीन में ये तकनीक चल रही है. रिमोट सेंसिंग मशीन रोड साइड पर लगाई गई हैं. ये डीजल वाहनों का उत्सर्जन बताता है।  इनके जरिए वाहनों के नंबर प्लेट को सेंसिंग किया जाता है और ये नाइट्रोजन ऑक्साइड NOX और सल्फर ऑक्साइड SOX का पता लगाता है. कोलकाता और पुणे में पायलेट प्रोजेक्ट चल रहा है। एक मशीन 2.5 करोड की है और दिल्ली के लिए 10 मशीनें चाहिए ये रकम ग्रीन सेस से ली जा सकती है. दिल्ली सरकार को जुलाई में जवाब देने को कहा गया था. 
 

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