शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन यानी एनआरसी और नेशनल पापुलेशन रजिस्टर यानी एनपीआर पर चर्चा होगी. चर्चा के बाद दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय एनपीआर पर एक प्रस्ताव सदन में रखेंगे. सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव में कहा जाएगा NPR के प्रावधान गरीब विरोधी, देश की बड़ी आबादी इससे परेशान होगी. अगर करना ही है तो 2010 के प्रावधान के मुताबिक NPR फॉर्म बनाया जाए.
सूत्रों के मुताबिक, यह प्रस्ताव इस बात पर केंद्रित होगा कि बड़े पैमाने पर इस बात को लेकर चिंता है कि एनपीआर एनआरसी का पहला कदम है. केंद्रीय मंत्रियों ने भी इस बारे में बयान दिए हैं. देश के गरीब लोग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे क्योंकि उन लोगों के पास दस्तावेज नहीं होते. NPR में व्यक्ति के जन्म स्थान और उसके माता-पिता के जन्म स्थान के बारे में जानकारी मांगने की क्या ज़रूरत है. यह प्रस्ताव दिल्ली सरकार से कहेगा कि यह एनपीआर कार्यवाही शुरू करने के लिए सही समय नहीं इसलिए NPR पर काम शुरू ना किया जाए.
इससे गुरुवार को देश के गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बयान दिया की एनपीआर में सारी जानकारी देना अनिवार्य नहीं होगा. एनपीआर में लोगों से किसी भी तरह का दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा और साथ ही किसी भी व्यक्ति के लिए संदिग्ध वाली श्रेणी नहीं बनाई जाएगी. दिल्ली में एक अप्रैल 2020 से एनपीआर की कार्यवाही शुरु होनी है.
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