नई दिल्ली:
चुनाव आयोग ने कथित लाभ के पद पर होने के लिए 21 आप विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिका में नए आरोपों पर ध्यान देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया लेकिन साथ ही मामले में दायर तथाकथित दूसरी याचिका का संज्ञान न करने की विधायकों की अर्जी भी खारिज कर दी.
आयोग ने 23 सितंबर को सुनवाई की अगली तारीख भी तय की. गत 29 अगस्त को उसने तथाकथित दूसरी याचिका खारिज करने की आप विधायकों की अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था.
आयोग ने अपने आदेश में कहा, "पैरा में जो लिखा है, वह कुछ अतिरिक्त आरोप लगाते हैं एवं कटाक्ष करते हैं. तदनुसार पैराग्राफ को याचिकाकर्ता की 28 दिसंबर, 2015 की तारीख वाले (तथाकथित दूसरी याचिका) जवाब से हटाने का निर्देश दिया जाता है." दूसरे शब्दों में आयोग ने दूसरी याचिका के जरिये दायर किए गए "अतिरिक्त आरोप" शामिल करने से मना कर मूल याचिका के दायरे का विस्तार करने से इनकार कर दिया.
वकील प्रशांत पटेल ने कथित लाभ के पद पर होने के लिए 21 आप विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए 19 जून, 2015 को राष्ट्रपति के समक्ष पहली याचिका दायर की थी. उन्होंने चुनाव आयोग के मांगने पर अतिरिक्त दस्तावेज जमा किए थे. लेकिन आप ने दावा किया था कि संबंधित अतिरिक्त दस्तावेज दूसरी याचिका है जिन पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए.
आयोग ने 18 पन्ने के अपने आदेश में कहा, "प्रतिवादियों के किसी भी ज्ञानी वकील ने ऐसी कोई खास आपत्ति नहीं जताई कि आयोग 28 दिसंबर, 2015 की तारीख वाले याचिकाकर्ता के जवाब के पैरा एक और दो पर भी ध्यान नहीं दे सकता. ये दोनों पैरा मूल याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए सवालों को केवल दोहराते हैं." आयोग ने कहा, "आयोग का मानना है कि पैरा में लिखी गई बातों पर कोई वैध आपत्ति भी नहीं हो सकती क्योंकि ये सभी पैराग्राफ याचिकाकर्ता द्वारा अपनी मूल याचिका में उठाए गए सवालों से संबंधित हैं."
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
आयोग ने 23 सितंबर को सुनवाई की अगली तारीख भी तय की. गत 29 अगस्त को उसने तथाकथित दूसरी याचिका खारिज करने की आप विधायकों की अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था.
आयोग ने अपने आदेश में कहा, "पैरा में जो लिखा है, वह कुछ अतिरिक्त आरोप लगाते हैं एवं कटाक्ष करते हैं. तदनुसार पैराग्राफ को याचिकाकर्ता की 28 दिसंबर, 2015 की तारीख वाले (तथाकथित दूसरी याचिका) जवाब से हटाने का निर्देश दिया जाता है." दूसरे शब्दों में आयोग ने दूसरी याचिका के जरिये दायर किए गए "अतिरिक्त आरोप" शामिल करने से मना कर मूल याचिका के दायरे का विस्तार करने से इनकार कर दिया.
वकील प्रशांत पटेल ने कथित लाभ के पद पर होने के लिए 21 आप विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए 19 जून, 2015 को राष्ट्रपति के समक्ष पहली याचिका दायर की थी. उन्होंने चुनाव आयोग के मांगने पर अतिरिक्त दस्तावेज जमा किए थे. लेकिन आप ने दावा किया था कि संबंधित अतिरिक्त दस्तावेज दूसरी याचिका है जिन पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए.
आयोग ने 18 पन्ने के अपने आदेश में कहा, "प्रतिवादियों के किसी भी ज्ञानी वकील ने ऐसी कोई खास आपत्ति नहीं जताई कि आयोग 28 दिसंबर, 2015 की तारीख वाले याचिकाकर्ता के जवाब के पैरा एक और दो पर भी ध्यान नहीं दे सकता. ये दोनों पैरा मूल याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए सवालों को केवल दोहराते हैं." आयोग ने कहा, "आयोग का मानना है कि पैरा में लिखी गई बातों पर कोई वैध आपत्ति भी नहीं हो सकती क्योंकि ये सभी पैराग्राफ याचिकाकर्ता द्वारा अपनी मूल याचिका में उठाए गए सवालों से संबंधित हैं."
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