प्रतीकात्मक तस्वीर
देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में दाख़िला पाने के लिए अब सिर्फ़ 12वीं के नंबर ही काफ़ी नहीं होंगे बल्कि एक प्रवेश परीक्षा भी होगी. डीयू अगले साल से अंडर ग्रेजुएट कोर्सेज़ में दाख़िले के लिए प्रवेश परीक्षा की योजना बना रहा है. इस साल के आरंभ में विश्वविद्यालय की प्रवेश समिति की बैठक हुई थी और इसमें निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा आयोजित कराएगा जिससे उच्च अंक नहीं प्राप्त करने वाले छात्र भी दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययन का मौका पा सकें. एक अधिकारी ने बताया, ‘‘कामर्स विभाग द्वारा ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा का प्रस्ताव बनाया गया था. कुछ सदस्यों का कहना था कि दूरदराज के उन छात्रों के लिए यह कठिन होगा जो कंप्यूटर से अच्छी तरह से परिचित नहीं हैं.'' अधिकारी ने बताया कि इसके बाद निर्णय लिया गया कि ऑफ लाइन के साथ ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा का भी आयोजन कराया जायेगा. डीयू प्रशासन के इस इरादे पर अंतिम मुहर ऐडमिशन कमेटी को लगानी है.
अब आप 98-99% नंबर लाकर ही डीयू में ऐडमिशन पक्का मत मानिए. अब आपको एंट्रेंस में बैठना पड़ सकता है. कोशिश पिछले साल भी हुई पर इस सोच को कामयाबी नहीं मिली. अब इस साल लागू करवाने की तैयारी पूरी है.
कम अटेंडेंस की वजह से एग्जाम में नहीं बैठ पाएंगे DU के 450 स्टूडेंट
हिन्दू कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर पूनम सेठी कहती हैं, 'हमने एक चीज़ गौर किया है है पिछले कुछ सालों में कई सारे बोर्ड्स इतने ज़्यादा मार्क्स देते हैं बच्चों को कि वो एलिजिबल तो हो जाते हैं. लेकिन कई मायनों में हमने उनका बौद्धिक स्तर बहुत ही कम पाया. मुझे ऐसा लगता है कि जब एंट्रेंस आएगा इस तरह का एक क्वालिटेटिव शिफ्ट आ सकता है कि वो बच्चा जो जिसका दिमाग शार्प है और किसी वजह से अच्छे नंबर नहीं ला पाया है वो एंट्रेंस क्लियर करके अपने लिए जगह बना सकता है.'
मतलब साफ़ है- अब 80 फीसदी लाने वालों के पास भी कम से कम एक मौका और होगा कि उन्हें डीयू में मनचाहा कॉलेज और मनचाहा विषय मिल सके. बेशक, बहुत ज़्यादा नंबर लाने वाले ख़ुद को घाटे में महसूस करेंगे. सभी कॉलेज को मिलाकर डीयू में अंडर ग्रेजुएट कोर्स में कुल 55000 सीटें हैं. अब तक आवेदन करीब 3 लाख आते हैं. एंट्रेंस के बाद इनमें भी इज़ाफ़ा होगा.
वहीं कुछ प्रोफेसर इस कदम के खिलाफ भी हैं. हिन्दू कॉलेज के ही एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल कहते हैं, 'एंट्रेंस लेंगे तो बच्चों से पैसा भी लेंगे. ये पूरा मूव प्राइवेटाइजेशन की ओर है. एडमिशन प्रोसेस सिम्प्लीफाय हो. सस्ता किया जाना चाहिए. हमारे कॉलेज में भी निजी कंपनी घुसी हुई है. तो मतलब साफ है यूनिवर्सिटी निजी हाथों में देना चाह रहे हैं.'
इसमें शक नहीं कि इस फ़ैसले से नंबरों की दौड़ शायद कुछ कम हो. लेकिन ख़तरा ये है कि इससे कहीं ऐडमिशन के लिए भी कोचिंग का नया धंधा न शुरू हो जाए.
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) के उपाध्यक्ष सुधांशु कुमार कहते हैं, 'यह फैसला कुकुरमुत्ते की तरह कोचिंग सेंटर को बढ़ावा देगा. जो आम आदमी है उसके ऊपर नाहक ही बोझ डाला जा रहा है. बच्चे को हर जगह मान लीजिए 12वीं का रिजल्ट है उसको एंट्रेंस के साथ क्यों जोड़ा जाता है. 12वीं में जो एग्जाम की प्रक्रिया है, 8 पेपर 10 पेपर जो बच्चे जो मेहनत करके देते हैं उस रिजल्ट की sanctity का क्या है?'
हालांकि डीयू को अभी पूरी तस्वीर साफ करनी है. पर ये भी साफ है कि कुछ वेटेज 12वीं की परीक्षा का भी मिलेगा और एंट्रेंस एग्जाम में भी अच्छा करना पड़ेगा.
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