
अरविंद केजरीवाल ने किया सिग्नचर ब्रिज का उद्घाटन
नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने रविवार को सिग्नेचर ब्रिज (Signature Bridge) का उद्घाटन किया. इस मौके पर उनके साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ( Manish Sisodia) समेत दिल्ली सरकार के कई मंत्री व विधायक भी मौजूद थे. इस ब्रिज को सोमवार से आम जनता के लिए खोला जाएगा. उद्घाटन समारोह के मौके पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस ब्रिज का इतंजार दिल्लीवासियों को लंबे समय से था. इस ब्रिज के खुलने से दिल्लीवासियों को ट्रैफिक से निजात मिलेगा. सिग्नेचर ब्रिज (Signature Bridge) के उद्घाटन के बाद दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया कि बधाई दिल्ली...लाल किला, कुतुब मीनार, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, लोटस टेम्पल, अक्षरधाम मंदिर के साथ-साथ अब दुनिया में नई पहचान के लिए मिला - सिग्नेचर ब्रिज.
सीएम द्वारा उद्घाटन से पहले बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने जमकर बवाल काटा. उन्होंने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा खुदपर हमले की बात कही. दिल्ली मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि जब वह उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान स्टेज के पास पहुंचे तो उनके खिलाफ पहले आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए और बाद में उनके साथ बदसलूकी की. खास बात यह है कि दिल्ली सरकार की तरफ से उन्हें उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए न्यौता नहीं दिया गया था. वहीं आम आदमी पार्टी के नेता दीलीप पांडे ने कहा कि कार्यक्रम में बीजेपी के लोगों ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की. अभी हमारे कई कार्यकर्ताओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
यह भी पढ़ें: दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज: निर्माण में देरी से ज्यादा खूबसूरती की चर्चा
गौरतलब है कि मनोज तिवारी ने कुछ दिन पहले कहा था कि सिग्नेचर ब्रिज का इतिहास बहुत पुराना है 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ तत्कालीन विधायक साहब सिंह चैहान के निमंत्रण पर ब्रिज बनाने को लेकर चर्चा की गई. उस समय 265 करोड़ रुपये की लागत से इसे बनाने की योजना तैयार की गई थी लेकिन 2004 में सत्ता परिवर्तन के साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री और केन्द्र सरकार में तालमेल की कमी के कारण इस ब्रिज का बजट बढ़कर 400 करोड़ रूपये हो गया. वर्ष 2009 में सांसद जेपी अग्रवाल और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की आपसी कलह की वजह से ब्रिज का कार्य अधर में लटका रहा.
यह भी पढ़ें: सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन समारोह में मनोज तिवारी को आमंत्रण नहीं
तिवारी ने कहा कि 2014 में उत्तर पूर्व संसदीय क्षेत्र से मैं सांसद निर्वाचित हुआ और सिग्नेचर ब्रिज पर पहली मीटिंग तत्कालीन विधायक साहब सिंह चैहान और करावल नगर के तत्कालीन विधायक मोहन सिंह बिष्ट के साथ हुई जिसमें मुझे बताया गया कि गैमन नाम की कम्पनी प्रोजेक्ट छोड़कर भाग चुकी है और अब ब्रिज का बजट बढ़कर 1100 करोड़ रुपये का हो गया है.
अक्टूबर माह में रूके हुए प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए 33 करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई गई जिस पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली में राष्ट्रपति शासन होते हुए मेरे अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने 33 करोड़ रुपये आवंटित किए.
बधाई दिल्ली.... लाल किला, कुतुब मीनार, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, लोटस टेम्पल, अक्षरधाम मंदिर के साथ साथ अब दुनिया में नई पहचान के लिए मिला - सिग्नेचर ब्रिज.... pic.twitter.com/OHb0Fw4hEm
— Manish Sisodia (@msisodia) November 4, 2018
सीएम द्वारा उद्घाटन से पहले बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने जमकर बवाल काटा. उन्होंने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा खुदपर हमले की बात कही. दिल्ली मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि जब वह उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान स्टेज के पास पहुंचे तो उनके खिलाफ पहले आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए और बाद में उनके साथ बदसलूकी की. खास बात यह है कि दिल्ली सरकार की तरफ से उन्हें उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए न्यौता नहीं दिया गया था. वहीं आम आदमी पार्टी के नेता दीलीप पांडे ने कहा कि कार्यक्रम में बीजेपी के लोगों ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की. अभी हमारे कई कार्यकर्ताओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
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गौरतलब है कि मनोज तिवारी ने कुछ दिन पहले कहा था कि सिग्नेचर ब्रिज का इतिहास बहुत पुराना है 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ तत्कालीन विधायक साहब सिंह चैहान के निमंत्रण पर ब्रिज बनाने को लेकर चर्चा की गई. उस समय 265 करोड़ रुपये की लागत से इसे बनाने की योजना तैयार की गई थी लेकिन 2004 में सत्ता परिवर्तन के साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री और केन्द्र सरकार में तालमेल की कमी के कारण इस ब्रिज का बजट बढ़कर 400 करोड़ रूपये हो गया. वर्ष 2009 में सांसद जेपी अग्रवाल और मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की आपसी कलह की वजह से ब्रिज का कार्य अधर में लटका रहा.
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तिवारी ने कहा कि 2014 में उत्तर पूर्व संसदीय क्षेत्र से मैं सांसद निर्वाचित हुआ और सिग्नेचर ब्रिज पर पहली मीटिंग तत्कालीन विधायक साहब सिंह चैहान और करावल नगर के तत्कालीन विधायक मोहन सिंह बिष्ट के साथ हुई जिसमें मुझे बताया गया कि गैमन नाम की कम्पनी प्रोजेक्ट छोड़कर भाग चुकी है और अब ब्रिज का बजट बढ़कर 1100 करोड़ रुपये का हो गया है.
अक्टूबर माह में रूके हुए प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए 33 करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई गई जिस पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली में राष्ट्रपति शासन होते हुए मेरे अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने 33 करोड़ रुपये आवंटित किए.
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