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नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार में संसदीय सचिव बने जिन 21 आम आदमी पार्टी विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी है वे सोमवार को चुनाव आयोग में अपना जवाब सौंप सकते हैं। चुनाव आयोग ने इन विधायकों को मार्च महीने में नोटिस जारी कर पूछा था कि इनकी सदस्यता क्यों ना रद्द की जाए? विधायकों को 11 अप्रैल तक जवाब देना था, लेकिन उन्होंने 6 हफ्ते का और समय मांगा, तो चुनाव आयोग ने 10 मई तक का समय दे दिया था।
क्या है पूरा मामला
मार्च 2015 में दिल्ली सरकार ने 21 आम आदमी पार्टी विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था। इसके खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने ये याचिका चुनाव आयोग को भेजकर कार्रवाई करने को कहा और इसी के तहत आम आदमी पार्टी के विधायकों से चुनाव आयोग ने नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
आप विधायकों का पक्ष
आप विधायकों का कहना है कि वे सरकार से संसदीय सचिव के नाते कोई वेतन भत्ता या ऐसी कोई सुविधा नहीं ले रहे जो लाभ के पद के दायरे में आए।
कहां फंसा है पेंच?
1. दिल्ली सरकार ने 21 विधायकों की नियुक्ति मार्च 2015 में की, जबकि इसके लिए कानून में ज़रूरी बदलाव कर विधेयक जून 2015 में विधानसभा से पास हुआ, जिसको केंद्र सरकार से मंज़ूरी आज तक मिली ही नहीं।
2. अगर दिल्ली सरकार को लगता था कि उसने इन 21 विधायकों की नियुक्ति सही और कानूनी रूप से ठीक की है, तो उसने नियुक्ति के बाद विधानसभा में संशोधित बिल क्यों पास किया?
जानकारों की राय
दिल्ली विधानसभा के सचिव रहे एस.के. शर्मा के मुताबिक़, 'केवल वेतन भत्ता या कोई आर्थिक लाभ ही लाभ का पद मानने का पैमाना नहीं है। अगर कोई विधायक को संसदीय सचिव के तौर पर एक कमरा भी मिलता है तो ये भी लाभ के पद के दायरे में आएगा, क्योंकि उस कमरे में लगी लाइट, पंखा, एसी आदि भी तो सरकारी ख़ज़ाने पर बोझ डालेंगे। और क्योंकि आप विधायकों को विधानसभा में दफ्तर मिले हुए हैं, इसलिए वे लाभ के पद के दायरे में आते हैं।'
इन सभी विधायकों पर लटकी है तलवार
1. जरनैल सिंह, राजौरी गार्डन
2. जरनैल सिंह, तिलक नगर
3. नरेश यादव, मेहरौली
4. अल्का लांबा, चांदनी चौक
5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
6. राजेश ऋषि, जनकपुरी
7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर
8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर
10. अवतार सिंह, कालकाजी
11. शरद चौहान, नरेला
12. सरिता सिंह, रोहताश नगर
13. संजीव झा, बुराड़ी
14. सोम दत्त, सदर बाज़ार
15. शिव चरण गोयल, मोती नगर
16. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर
17. मनोज कुमार, कोंडली
18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
19. सुखबीर दलाल, मुंडका
20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़
21. आदर्श शास्त्री, द्वारका
क्या है पूरा मामला
मार्च 2015 में दिल्ली सरकार ने 21 आम आदमी पार्टी विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था। इसके खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए।
राष्ट्रपति ने ये याचिका चुनाव आयोग को भेजकर कार्रवाई करने को कहा और इसी के तहत आम आदमी पार्टी के विधायकों से चुनाव आयोग ने नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
आप विधायकों का पक्ष
आप विधायकों का कहना है कि वे सरकार से संसदीय सचिव के नाते कोई वेतन भत्ता या ऐसी कोई सुविधा नहीं ले रहे जो लाभ के पद के दायरे में आए।
कहां फंसा है पेंच?
1. दिल्ली सरकार ने 21 विधायकों की नियुक्ति मार्च 2015 में की, जबकि इसके लिए कानून में ज़रूरी बदलाव कर विधेयक जून 2015 में विधानसभा से पास हुआ, जिसको केंद्र सरकार से मंज़ूरी आज तक मिली ही नहीं।
2. अगर दिल्ली सरकार को लगता था कि उसने इन 21 विधायकों की नियुक्ति सही और कानूनी रूप से ठीक की है, तो उसने नियुक्ति के बाद विधानसभा में संशोधित बिल क्यों पास किया?
जानकारों की राय
दिल्ली विधानसभा के सचिव रहे एस.के. शर्मा के मुताबिक़, 'केवल वेतन भत्ता या कोई आर्थिक लाभ ही लाभ का पद मानने का पैमाना नहीं है। अगर कोई विधायक को संसदीय सचिव के तौर पर एक कमरा भी मिलता है तो ये भी लाभ के पद के दायरे में आएगा, क्योंकि उस कमरे में लगी लाइट, पंखा, एसी आदि भी तो सरकारी ख़ज़ाने पर बोझ डालेंगे। और क्योंकि आप विधायकों को विधानसभा में दफ्तर मिले हुए हैं, इसलिए वे लाभ के पद के दायरे में आते हैं।'
इन सभी विधायकों पर लटकी है तलवार
1. जरनैल सिंह, राजौरी गार्डन
2. जरनैल सिंह, तिलक नगर
3. नरेश यादव, मेहरौली
4. अल्का लांबा, चांदनी चौक
5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
6. राजेश ऋषि, जनकपुरी
7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर
8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर
10. अवतार सिंह, कालकाजी
11. शरद चौहान, नरेला
12. सरिता सिंह, रोहताश नगर
13. संजीव झा, बुराड़ी
14. सोम दत्त, सदर बाज़ार
15. शिव चरण गोयल, मोती नगर
16. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर
17. मनोज कुमार, कोंडली
18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
19. सुखबीर दलाल, मुंडका
20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़
21. आदर्श शास्त्री, द्वारका
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