
- पांच संभावितों का इंटरव्यू लिया सीईसी ने
- वेंकटेश प्रसाद, शिवारामाकृष्णन और राजेश चौहान भी थे शामिल
- सुनील जोशी व हरविंदर सिंह का हुआ चयन
करोड़ों भारतीय क्रिकेटप्रेमियों और मीडिया का लंबा इंतजार बुधवार को तब खत्म हो गया, जब बीसीसीआई ने पूर्व क्रिकेटर सुनील जोशी (Sunil Joshi) को चयन समिति का अध्यक्ष घोषित कर दिया. बहरहाल, जानकारी के अनुसार अब यह खुलासा हुआ है कि आखिर क्यों सुनील जोशी (Sunil Joshi) बाकी दावेदारों को पछाड़ते हुए चेयरमैन का पद ले उड़े. वास्तव में सुनील जोशी के चीफ सेलेक्टर बनने से क्रिकेटप्रेमियों और खिलाड़ियों का बड़ा तबगा बहुत ही हैरान है. कारण यह है कि शॉर्टलिस्ट किए गए पांच उम्मीदवारों में वेंकटेश प्रसाद का भी नाम था, जो जोशी से कहीं ज्यादा प्रबल दावेदार थे और ज्यादा क्रिकेट खेले हुए थे. वहीं हैरानी अजित अगरकर को शार्टलिस्ट किए गए पांच खिलाड़ियों में जगह न देने को लेकर भी थी. बहरहाल अब साफ हो गया कि सुनील जोशी (Sunil Joshi) ने कैसे सभी को पछाड़ते हुए चेयरमैन का पद हासिल कर लिया. और इसमें इंटरव्यू के दौरान जोशी के साफ विचारों ने बड़ा अहम रोल निभाया. जोशी के अलावा अन्य उम्मीदवार राजेश चौहान, शिवरामाकृष्णन और वेंकटेश प्रसाद थे.
Former Spinner Sunil Joshi is the new BCCI Chief Selector and Harvinder Singh is the panel member, Joshi has now replaced MSK Prasad. #BCCI pic.twitter.com/ZUVpwQz8ds
— Official Vikash Kumar Verma (@Officialverma5) March 4, 2020
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आपको बता दें कि इंडियन एक्सप्रेस की स्टोरी के अनुसार मदन लाल की अध्यक्ष वाली क्रिकेट सलाहकार कमेटी (सीईसी) ने संभावित उम्मीदवारों के लिए कई अहम सवाल तैयार किए थे. इनमें प्रमुख सवाल ये थे कि वह विराट कोहली और रवि शास्त्री की सदस्यता वाले टीम मैनेजमेंट को कैसे नियंत्रित करेंगी. वहीं, संभावित उम्मीदवारों के लिए एक अहम सवाल यह भी था कि धोनी के भविष्य को लेकर उनके क्या विचार हैं.
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सुनील जोशी और हरविंदर सिंह दोनों ने ही यह जवाब दिया कि वे धोनी के साथ बातचीत का विकल्प खुला रखेंगे और उनके आईपीएल के प्रदर्शन को उनका भविष्य तय करने का आधार बनाएंगे. इसके अलावा सीईसी ने उम्मीदवारों से खिलाड़ियों से बातचीत करने, चोट के बाद प्रतिस्पर्धात्मक क्रिकेट में लौटने और उपलब्ध होने पर शीर्ष खिलाड़ियों के घरेलू क्रिकेट में खेलने को लेकर भी सवाल किए.
पूर्व क्रिकेटरों और मीडिया के बीच यह राय थी कि विराट कोहली और रवि शास्त्री की सदस्यता वाले टीम मैनेजमेंट को नियंत्रित करने के लिए एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली पिछली चयन समिति कद्दावर नहीं थी. और इस चयन समिति के सदस्य ऐसे नहीं थे, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा क्रिकेट खेली हो. वहीं, पिछली चयन समिति इसलिए भी निशाने पर थी कि पिछले साल हुए वर्ल्ड कप के लिए वह उचित नंबर-4 बल्लेबाज की तलाश नहीं कर सकी.
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वैसे तमाम कड़े सवालों और स्पष्ट जवाबों के बाद सीएसी ने सुनील जोशी और हरविंदर सिंह दोनों को ही यह बता दिया है कि उन्हें एक साल के मूल्यांकन के आधार पर नियुक्त किया गया है. और उनके काम की समीक्षा की जाएगी. बाद में मदन लाल ने कहा कि जोशी का गहन अनुभव भी उनके पक्ष में गया. पहली बात तो यह है कि वह बहुत ही ज्यादा अनुभव हैं और वह भारत की अलग-अलग जगहों पर रहे हैं. उत्तर प्रदेश का कोच बनने से पहले वह बांग्लादेशी टीम के साथ जुड़े रहे थे.
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मदन लाल ने कहा कि मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने बांग्लादेशी सेलेक्टरों को कैसे नियंत्रित किया. वहीं, उन्होंने बाकी दूसरी चार-पांच टीमों के साथ भी काम किया है.
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