विंडीज का 2023 World Cup में खेलने का सपना चूर हो गया
खास बातें
- विंडीज World Cup 2023 के लिए क्वालीफाई करने से चूका
- स्कॉटलैंड ने शनिवार को दी 7 विकेट से मात
- समझिए विंडीज के अर्श से फर्श पर पहुंचने के कारण
नई दिल्ली: पूरा क्रिकेट जगत हैरान और विस्मित है कि आखिरकार विंडीज कैसे World Cup 2013 के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रहा. इस टीम में आईपीएल खेल रहे स्टार निकोस पूरन, अल्जारी जोसेफ, कायले मायर्स सहित कई स्टार खिलाड़ी शामिल थे, लेकिन इसके बावजूद कहीं ज्यादा अनुभवहीन स्कॉटलैंड ने शनिवार को विंडीज टीम को ICC Cricket World Cup Qualifiers 2023 के तहत हरारे में खेले गए मुकाबले में उसे सात विकेट से हराकर विंडीज को विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने से वंचित कर दिया. World Cup 2023 इस साल के आखिर में भारत में खेला जाएगा, जिसका शेड्यूल पिछले दिनों आ चुका है. विंडीज टीम 43.5 ओवरों में 181 रनों पर ही ऑलआउट हो गई. और स्कॉटलैंड ने 43.3 ओवरों में 3 विकेट खोकर ही लक्ष्य हासिल कर लिया. कुल मिलाकर अब विंडीज अब 2023 World Cup में खेलते नहीं दिखेगा. चलिए आप वो 4 कारण जान लीजिए, जिसके कारण विंडीज का ऐसा हाल किया.
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1. विंडीज में विश्व स्तरीय खिलाड़ियों का अकाल
हालिया सालों में विंडीज का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव वाला रहा. इसमें नियमितता का अभाव रहा, तो इसकी वजह रही कि इक्का-दुक्का खिलाड़ियों को छोड़कर विश्व स्तरीय खिलाड़ियों का अभाव रहा. एक समय में विंडीज टीम में लंबे समय तक इलेवन में पांच-छह विश्व स्तरीय खिलाड़ी रहे, लेकिन समय गुजरने के साथ ही ऐसे खिलाड़ियों में कमी आती रही. क्रिस गेल हालिया सालों में एक बड़ा नाम रहा. लेकिन बाकी जो नाम उभरे,वे पूरी तरह चमकने से पहले ही बुझ गए या अपनी क्षमता को परफॉर्मेंस में नहीं बदल सके. साथ ही, एक और बड़ा कारण विंडीज के युवाओं का पैसे के कारण फुटबॉल, बॉस्केटबॉल और एथलेटिक्स की ओर बढ़ता रुझान रहा. और इसकी वजह अमेरिका जैसे अमीर देश में जाना और वहां बसना भी रहा.
2. टीम स्प्रिट का अभाव
विंडीज की टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो दिन विशेष पर अकेले मैच जीतने की क्षमता रखते हैं, लेकिन इनका ज्याादातर समय ज्यादा पैसा कमाने की चाह में पूरे साल दुनिया की अलग-अलग टी20 लीग में व्यस्त होना रहा है. इसके कारण खिलाड़ियों में संयोजन के अभाव रहा और एक व्यवस्थित टीम नहीं बन सकी. टीम में कुछ आईपीएल खेल रहे सितारा खिलाड़ी होने के बावजूद यह टीम साल 2022 टी20 विश्व कप भी सुपर-12 राउंड में पहुंचने में नाकाम रही. लेकिन बोर्ड की खराब आर्थिक स्थिति और कम फीस मिलने के कारण खिलाड़ियों ने बाकी देशों की लीग को वरीयता दी, जिसके कारण एक व्यवस्थित टीम नहीं बन सकी.
3. गंभीर एप्रोच का अभाव, असर खेल पर
हालिया सालों में विंडीज के बुरे हाल का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि लगातार खराब प्रदर्शन और हार का असर बिल्कुल भी खिलाड़ियों की मनोदशा पर पड़ता नहीं दिखा. और नियमित हारों के बावजूद खिलाड़ियों की शारीरिक भाषा "बेशर्म" सरीखी रही. इससे साफ लगा कि हारों से उसकी मनोदशा नहीं बदल रही है. और असर यह रहा कि उसके बल्लेबाज खराब स्ट्रोक खेलकर विकेट गंवाते रहे, तो फील्डिंग क्लब स्तर जैसी बनकर रह गई. क्वालीफायर्स में यह और भी खराब दिखी. जिंबाब्वे के खिलाफ उसने प्लेयर ऑफ द मैच सिकंदर रजा के दो कैच छोड़े, तो स्कॉटलैंड के खिलाफ प्लेयर ऑफ द मैच ब्रैंडन मैक्मुलेन के भी दो कैच छोड़े गए, जिन्होंने 69 रन बना दिए.
4. खराब बॉलिंग अटैक और प्रदर्शन
अगर आप नब्बे या दो हजार के दशक से भी तुलना करेंगे, तो विंडीज के पास स्तरीय गेंदबाजों का अभाव है. मारक गेंदबाजों के अभाव के कारण उसके बड़े स्कोर भी जीत में नहीं बदल पाते. और इसका बड़ा सबूत इसमें देखता जा सकता है कि नीदरलैंड जैसी टीम के खिलाफ विंडीज के गेंदबाज 374 जैसे विशाल स्कोर का भी बचाव नहीं कर सके.
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