यह ख़बर 18 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

विदेशी धरती पर लगातार चौथी टेस्ट शृंखला हार गई टीम इंडिया...

नई दिल्ली:

महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम भले ही अपने घर में शेर हो, लेकिन विदेशी धरती पर उसे जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। इसके बावजूद टीम इंडिया को सफलता नहीं मिल पा रही है। भारतीय टीम अब धोनी के नेतृत्व में ही विदेशों में लगातार चार टेस्ट शृंखलाएं गंवा चुकी है।

विदेशी धरती पर खेली गई किसी टेस्ट शृंखला में भारत को अंतिम जीत जून, 2011 में मिली थी, जब भारतीय टीम ने तीन मैचों की शृंखला में वेस्ट इंडीज़ को 1-0 से हराया था, लेकिन उसके बाद से सूखा-सा पड़ा रहा है। इस दौरान भारत ने अपने घर में चार शृंखलाएं जीतीं, लेकिन विदेशों में जीत का उसका मंसूबा धरा ही रह गया।

न्यूजीलैंड ने मंगलवार को समाप्त दो मैचों की टेस्ट शृंखला में भारत को 1-0 से हराया। मेजबान टीम ने ऑकलैंड टेस्ट में जीत हासिल की थी, और वेलिंगटन टेस्ट में भारतीय टीम तीसरे दिन तक जीत की स्थिति में थी, लेकिन चौथे और पांचवें दिन वह बैकफुट पर नजर आई और एक समय टेस्ट गंवाने की स्थिति में दिख रही थी, लेकिन आखिरी दिन विराट कोहली ने नाबाद 105 रन बनाकर उसे इस फजीहत से बचा लिया।

न्यूजीलैंड दौरे से पहले भारत ने दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया था और वहां उसे दो मैचों की टेस्ट शृंखला में 0-1 से मुंह की खानी पड़ी थी। उससे पहले 2013-14 और 2012-13 के सत्रों में भारत ने लगातार दो घरेलू शृंखलाएं जीतीं। उसने वेस्ट इंडीज़ को दो मैचों की शृंखला में पारी के अंतर से हराया। यह सचिन तेंदुलकर की विदाई शृंखला थी।

उससे पहले भारत ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तहत ऑस्ट्रेलिया के साथ खेली गई चार मैचों की शृंखला में 4-0 से जीत हासिल की थी। उस शृंखला में भारतीय टीम का प्रदर्शन काबिलेतारीफ था, लेकिन उसे उतना प्रभावशाली नहीं माना गया, क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई टीम संक्रमण काल से गुजर रही थी और वह अपनी क्षमता के अनुरूप नहीं खेल सकी थी।

ऑस्ट्रेलिया पर फतह से पहले 2012-13 के सत्र में ही भारत ने इंग्लैंड की मेजबानी की थी, जो उसके लिए नाक कटाने वाला साबित हुआ था। इंग्लिश टीम ने भारत को उसे के घर में 2-1 से हराकर अपना वर्चस्व कायम किया था। इस शृंखला से पहले भारत ने न्यूजीलैंड टीम की मेजबानी की थी और दो मैचों की शृंखला में 2-0 से जीत हासिल की थी। उस हार से ही तमतमाई कीवी टीम ने अपने घर में न सिर्फ भारत को एक-दिवसीय शृंखला में हराया, बल्कि टेस्ट मैचो में भी पटखनी दी।

जून, 2011 में वेस्ट इंडीज़ पर मिली अंतिम विदेशी टेस्ट शृंखला के बाद भारत ने इंग्लैंड का दौरा किया था। यह दौरा भारत के दिग्गजों के लिए आंख खोलने वाला साबित हुआ था। एशेज में कई मौकों पर ऑस्ट्रेलिया को पटखनी देने वाली इंग्लिश टीम ने खेल के हर विभाग में भारत को दोयम साबित करते हुए चार मैचों की शृंखला 4-0 से अपने नाम की थी।

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2011-12 के सत्र में जब वेस्ट इंडीज़ टीम भारत दौरे पर आई तो भारत ने उसे एक बार फिर तीन मैचों की शृंखला में 2-0 से हराकर इंग्लैंड के हाथों बीती हार का गम भुलाने का प्रयास किया, लेकिन उसकी अगली परीक्षा ऑस्ट्रेलिया दौरे पर होनी थी। तमाम दिग्गजों से लैस भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया में अगले ही दौरे में 4-0 की हार मिली। इसी ने शायद भारत को 2012-13 सत्र में अपने घर में ऑस्ट्रेलिया को इसी अंतर से हराने की प्रेरणा दी थी।