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This Article is From Mar 20, 2017

लोढा कमेटी की सिफारिशों का असर, मुंबई ने BCCI में खोया पूर्ण राज्य का दर्जा, पूर्वोत्तर के राज्यों को लाभ

लोढा कमेटी की सिफारिशों का असर, मुंबई ने BCCI में खोया पूर्ण राज्य का दर्जा, पूर्वोत्तर के राज्यों को लाभ
पूर्व सीएजी विनोद राय की अध्यक्षता वाली प्रशासकों की समिति ने कई फैसले लिए हैं (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
प्रशासकों की समिति ने बीसीसीआई में कई बदलाव किए हैं
सौराष्ट्र और बड़ौदा की भी पूर्ण सदस्यता छीन ली गई है
सभी राज्यों को बोर्ड में शामिल किए जाने की बात की जा रही है
मुंबई: बीसीसीआई और राज्य संघों पर लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों का असर दिखने लगा है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासकों की समिति ने इनके अनुसार फैसले लेने शुरू कर दिए हैं. सीओए ने शनिवार रात को बीसीसीआई के नियम-कानूनों में बदलाव किए हैं. देश के सभी 30 राज्यों को बोर्ड की पूर्ण सदस्यता दी गई है. इसका असर मुंबई क्रिकेट संघ पर पड़ा है और उससे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्ण सदस्य का दर्जा छीन लिया गया है. मुंबई के साथ विदर्भ, सौराष्ट्र, बड़ौदा को भी मतदान के अधिकार से वंचित कर दिया गया है. साथ ही इनकी पूर्ण सदस्य की मान्यता भी रद्द कर दी गई है. प्रशासकों की समिति (सीओए) ने पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को बोर्ड की पूर्ण सदस्यता देने का फैसला किया है.

लोढा समिति की एक राज्य एक वोट की सिफारिश को मानते हुए सीओए ने इन संघों को लेकर यह फैसला लिया है. नए बदलाव के अनुसार महाराष्ट्र क्रिकेट संघ (एमसीए), गुजरात क्रिकेट संघ को इन दो राज्यों में मौजूद अलग-अलग संघों में से चुना गया है. सभी सरकारी संघों के साथ क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया (सीसीआई), राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब (एनसीसी) की भी सदस्यता रद्द कर दी गई है.

बीसीसीआई की वेबसाइट पर जारी किए गए संशोधनों के मुताबिक, "एक राज्य में कई सदस्य होने के कारण पूर्ण सदस्यता वार्षिक तौर पर बदली जाएगी ताकि सिर्फ एक सदस्य ही एक समय पर पूर्ण सदस्य के रूप में अपने वोट का उपयोग कर सके."

बयान में लिखा है, "हर राज्य का प्रतिनिधित्व बीसीसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त संघ ही करेगी और यह संघ बोर्ड की पूर्ण सदस्य होगी. किसी भी समय एक राज्य से एक से ज्यादा संघ बोर्ड की पूर्ण सदस्यता की हकदार नहीं होंगी."

बयान में कहा गया है, "वार्षिक आम सभा या विशेष सभा में प्रत्येक पूर्ण सदस्य को सिर्फ एक वोट ही करने का अधिकार होगा. अस्थायी सदस्य के पास वोट करने का अधिकार नहीं होगा."

70 साल की आयु सीमा के छोड़कर यह साफ है कि बीसीसीआई और राज्य संघों में अलग-अलग नौ साल का कार्यकाल वाली सिफारिश को भी मंजूरी मिल गई है.

नए बदलाव के तहत बीसीसीआई राज्य संघों, अस्थायी सदस्यों और संबद्ध सदस्यों को दिए जाने वाले पैसे की जांच के लिए एक स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करेगी.
(इनपुट आईएएनएस से भी)

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