
प्रतीकात्मक फोटो.
मुंबई:
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल से राजस्व मॉडल का मैच जीतने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने मोदी मंत्र फूंका है. जी हां बीसीसीआई ने दुबई में आईसीसी के सदस्य देशों से कहा है वह चाहती है कि सबका साथ, सबका विकास. अगर बीसीसीआई के आला सूत्रों की मानें तो 5-6 देशों ने बीसीसीआई के इस प्रस्ताव को रजामंदी भी दे दी है.
सूत्रों के मुताबिक सोमवार को बीसीसीआई ने चीफ एक्जीक्यूटिव की बैठक से पहले सदस्य देशों के साथ मीटिंग में यह प्रस्ताव रखा. 4 फरवरी को आईसीसी ने नए राजस्व मॉडल का प्रस्ताव दिया था जिसे भारत और श्रीलंका को छोड़कर लगभग सभी देशों ने सैद्धांतिक सहमति दे दी थी. बांग्लादेश और जिम्बाब्वे इस वोटिंग से अनुपस्थित रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को अपने फैसले में आईसीसी में बोर्ड की नुमाइंदगी के लिए संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी को भाग लेने की इजाजत दी थी. उसके बाद बोर्ड ने अपनी विशेष आमसभा में सबकी मंजूरी से कह दिया था कि कि आईसीसी को उनका पैगाम दे दिया जाए कि वह 'बिग थ्री मॉडल' को बरकरार रखे. गौरतलब है कि बिग थ्री मॉडल में आईसीसी की कमाई से बीसीसीआई को 20.3, ईसीबी को 4.4% और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को 2.7% मिलता था. यह फॉर्मूला उनके राजस्व से तय हुआ था. आईसीसी के नए प्रस्तावित राजस्व मॉडल से अगले दस सालों में बीसीसीआई को 3400 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
चार फरवरी को आईसीसी के प्रस्ताव पर उस वक्त बैठक में गए सीओए के सदस्य विक्रम लिमये ने पहले भी सख्त रुख अपनाया था. उन्होंने अपने 11 पन्नों के खत में साफ कहा था "आईसीसी का संविधान और प्रस्तावित वित्तीय मॉडल अगर स्वीकृत होते हैं तो हम एमपीए अनुबंधों के तहत अपने अधिकारों और कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल कर सकते हैं. हमें भरोसा है कि आईसीसी नए संविधान और वित्तीय मॉडल को एमपीए के तहत देखेगा ताकि हमें कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल न करना पड़े.आप सूचना के साथ ज़रूरी कार्रवाई के लिए आईसीसी को हमारे नज़रिये के बारे में बता दें.
आईसीसी को अपने नए प्रस्ताव की स्वीकृति के लिए 8 वोटों की जरूरत होगी. ऐसे में अगर 5-6 सदस्य देश बीसीसीआई की बात मान लेते हैं तो फिर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड आईसीसी को बता सकता है कि क्रिकेट को चलाने में आईसीसी के सामने भी बॉस बीसीसीआई ही है.
सूत्रों के मुताबिक सोमवार को बीसीसीआई ने चीफ एक्जीक्यूटिव की बैठक से पहले सदस्य देशों के साथ मीटिंग में यह प्रस्ताव रखा. 4 फरवरी को आईसीसी ने नए राजस्व मॉडल का प्रस्ताव दिया था जिसे भारत और श्रीलंका को छोड़कर लगभग सभी देशों ने सैद्धांतिक सहमति दे दी थी. बांग्लादेश और जिम्बाब्वे इस वोटिंग से अनुपस्थित रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को अपने फैसले में आईसीसी में बोर्ड की नुमाइंदगी के लिए संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी को भाग लेने की इजाजत दी थी. उसके बाद बोर्ड ने अपनी विशेष आमसभा में सबकी मंजूरी से कह दिया था कि कि आईसीसी को उनका पैगाम दे दिया जाए कि वह 'बिग थ्री मॉडल' को बरकरार रखे. गौरतलब है कि बिग थ्री मॉडल में आईसीसी की कमाई से बीसीसीआई को 20.3, ईसीबी को 4.4% और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को 2.7% मिलता था. यह फॉर्मूला उनके राजस्व से तय हुआ था. आईसीसी के नए प्रस्तावित राजस्व मॉडल से अगले दस सालों में बीसीसीआई को 3400 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
चार फरवरी को आईसीसी के प्रस्ताव पर उस वक्त बैठक में गए सीओए के सदस्य विक्रम लिमये ने पहले भी सख्त रुख अपनाया था. उन्होंने अपने 11 पन्नों के खत में साफ कहा था "आईसीसी का संविधान और प्रस्तावित वित्तीय मॉडल अगर स्वीकृत होते हैं तो हम एमपीए अनुबंधों के तहत अपने अधिकारों और कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल कर सकते हैं. हमें भरोसा है कि आईसीसी नए संविधान और वित्तीय मॉडल को एमपीए के तहत देखेगा ताकि हमें कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल न करना पड़े.आप सूचना के साथ ज़रूरी कार्रवाई के लिए आईसीसी को हमारे नज़रिये के बारे में बता दें.
आईसीसी को अपने नए प्रस्ताव की स्वीकृति के लिए 8 वोटों की जरूरत होगी. ऐसे में अगर 5-6 सदस्य देश बीसीसीआई की बात मान लेते हैं तो फिर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड आईसीसी को बता सकता है कि क्रिकेट को चलाने में आईसीसी के सामने भी बॉस बीसीसीआई ही है.
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