फोटो प्रतीकात्मक
नई दिल्ली:
क्रिकेट मैच में पहले बल्लेबाजी या फिर गेंदबाजी करने का फैसला टॉस से होता आया है। वक्त के साथ क्रिकेट के नियम में कई बदलाव होते आए हैं लेकिन टॉस अपनी जगह पर बना रहा लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक जल्दी ही इंग्लैंड के घरेलू क्रिकेट में टॉस का चलन खत्म हो सकता है। काउंटी चैंपियनशिप से टॉस को हटाने के लिए इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड की अहम बैठक गुरुवार को होगी। इस बैठक में टॉस को हटाने पर आखिरी फैसला होगा।
...तो दोनों टीमों को मिलेगा बराबरी का मौका
टॉस को अगर क्रिकेट से हटा दिया जाए तो इससे घरेलू और मेहमान दोनों टीमों को मुकाबले के लिए बराबरी का मौका मिलेगा। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट या फिर घरेलू क्रिकेट में हमेशा से पिच घरेलू टीम के मुताबिक बनाई जाती रही हैं। जानकारों का मानना है कि इससे लंबे समय में क्रिकेट को फ़ायदा होगा।
कई मशहूर खिलाड़ी कर चुके हैं सिफारिश
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन ने एक इंग्लिश अखबार से कहा कि घरेलू टीम अपने खिलाड़ियों के हुनर को देखते हुए ग्रीन विकेट बनाती है। इससे लंबे समय में नुकसान होता है। केपी के मुताबिक इससे किसी को फायदा नहीं होता है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पॉन्टिंग क्रिकेट से टॉस को हटाने की सिफारिश कर चुके हैं। कंगारू टीम के एक और पूर्व कप्तान स्टीव वॉ भी इस मसले पर पॉन्टिंग का समर्थन कर चुके हैं। हालांकि वॉ ने ये भी कहा कि बेवजह टॉस को ज्यादा महत्व दिया जाता है।
इसलिए टॉस माना जाता है महत्वपूर्ण
क्रिकेट में टॉस का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भारत की टीम इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया या फिर दक्षिण अफ्रीका की पिचों पर खेलती है तो टॉस अहम हो जाता है। इंग्लिश बोर्ड ने टीम इंडिया के साथ सीरीज के लिए उछाल लेती और तेज गेंदबाज़ों को मदद देने वाली पिच बनाई तो ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड ने भी मिचेल जॉनसन की तेज और स्विंग गेंदों को नज़र में रखते हुए पिच बनाए।
हर देश बनाता है अपने अनुकूल पिच
यहीं हाल भारतीय क्रिकेट बोर्ड का भी है। बीसीसीआई ने दक्षिण अफ़्रीका के साथ चल रहे मौजूदा टेस्ट सीरीज़ के लिए अपने स्पिनरों के हुनर को देखते हुए पिच बनाए हैं। मोहाली, जहां अफ़्रीकी टीम ने सीरीज़ का पहला टेस्ट खेला हमेशा से तेज गेंदबाजोंको मदद करने के लिए जानी जाती रही है लेकिन इस सीरीज़ में वहां स्पिनरों का जलवा दिखा। बेंगलुरु टेस्ट बारिश की वजह से ड्रॉ रहा लेकिन वहां भी आर. अश्विन और रविंदर जडेजा की जोड़ी ने कमाल दिखाया। नागपुर टेस्ट में भी एक बार फिर स्पिनरों का रोल अहम होता दिखाई दे रहा है।
...तो दोनों टीमों को मिलेगा बराबरी का मौका
टॉस को अगर क्रिकेट से हटा दिया जाए तो इससे घरेलू और मेहमान दोनों टीमों को मुकाबले के लिए बराबरी का मौका मिलेगा। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट या फिर घरेलू क्रिकेट में हमेशा से पिच घरेलू टीम के मुताबिक बनाई जाती रही हैं। जानकारों का मानना है कि इससे लंबे समय में क्रिकेट को फ़ायदा होगा।
कई मशहूर खिलाड़ी कर चुके हैं सिफारिश
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान केविन पीटरसन ने एक इंग्लिश अखबार से कहा कि घरेलू टीम अपने खिलाड़ियों के हुनर को देखते हुए ग्रीन विकेट बनाती है। इससे लंबे समय में नुकसान होता है। केपी के मुताबिक इससे किसी को फायदा नहीं होता है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पॉन्टिंग क्रिकेट से टॉस को हटाने की सिफारिश कर चुके हैं। कंगारू टीम के एक और पूर्व कप्तान स्टीव वॉ भी इस मसले पर पॉन्टिंग का समर्थन कर चुके हैं। हालांकि वॉ ने ये भी कहा कि बेवजह टॉस को ज्यादा महत्व दिया जाता है।
इसलिए टॉस माना जाता है महत्वपूर्ण
क्रिकेट में टॉस का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भारत की टीम इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया या फिर दक्षिण अफ्रीका की पिचों पर खेलती है तो टॉस अहम हो जाता है। इंग्लिश बोर्ड ने टीम इंडिया के साथ सीरीज के लिए उछाल लेती और तेज गेंदबाज़ों को मदद देने वाली पिच बनाई तो ऑस्ट्रेलियाई बोर्ड ने भी मिचेल जॉनसन की तेज और स्विंग गेंदों को नज़र में रखते हुए पिच बनाए।
हर देश बनाता है अपने अनुकूल पिच
यहीं हाल भारतीय क्रिकेट बोर्ड का भी है। बीसीसीआई ने दक्षिण अफ़्रीका के साथ चल रहे मौजूदा टेस्ट सीरीज़ के लिए अपने स्पिनरों के हुनर को देखते हुए पिच बनाए हैं। मोहाली, जहां अफ़्रीकी टीम ने सीरीज़ का पहला टेस्ट खेला हमेशा से तेज गेंदबाजोंको मदद करने के लिए जानी जाती रही है लेकिन इस सीरीज़ में वहां स्पिनरों का जलवा दिखा। बेंगलुरु टेस्ट बारिश की वजह से ड्रॉ रहा लेकिन वहां भी आर. अश्विन और रविंदर जडेजा की जोड़ी ने कमाल दिखाया। नागपुर टेस्ट में भी एक बार फिर स्पिनरों का रोल अहम होता दिखाई दे रहा है।
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